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बिहार:फसल प्रोसेसिंग एवं ब्रांडिंग के लिए सरकार दे रही है 90 प्रतिशत का अनुदान

बिहार उद्यानिकी उत्पाद विकास योजना

किसान अपनी फसल को बहुत मेहनत तथा अधिक लागत लगाकर खेती करता है लेकिन जब उसे बेचने के लिए बाजर तथा मंडी में जाता है तो उसे लागत नहीं मिलती है | हालत यहाँ तक खराब हो जाता है की किसान की फसल को खरीदने वाला कोई व्यापारी नहीं मिलता है | खासकर जायद फसल (सब्जी की फसल) को अधिक उत्पादन पर खरीदार नहीं मिलता है | हर वर्ष किसी न किसी राज्य में किसान टमाटर, आलू, प्याज इत्यादी फसल को रोड पर फेक देते हैं | इसका मुख्य कारण यह है की खिरीदार नहीं मिलता है | पिछले दिनों मध्य प्रदेश के नीमच मंडी में किसान ने प्याज को छोड़कर घर चला दिया है |

इसी समस्या से किसान को निकालने के लिए केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार किसानों के साथ मिलकर बाजार विकसित करने में लगी हुई है | इसी क्रम में बिहार सरकार ने किसानों को अपने माल को बेचने के लिए बाजार बनाने जा रही है | इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण के साथ – साथ मशीन भी देने जा रही हैं सरकार ने इसके साथ ही बाजार उपलब्ध करनाने में मदद कर रही है | राज्य सरकार इसके लिए किसानों को 90 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है |इस योजना की पूरी जानकरी किसान समाधान लेकर आया है |

यह योजना कहाँ – कहाँ लागु की गई है ?

बिहार राज्य उद्यानिकी उत्पाद विकास योजना के तहत सभी जिलों में लागु किया गया है  लेकिन सभी जिलों को अलग – अलग फसलों के लिए चयन किया गया है | प्रथम चरण में इस योजना का संचालन राज्य के 9 जिले रोहतास, अररिया, समस्तीपुर, पूर्वी चम्पारण, भोजपुर, शेखपुरा, बक्सर, नालन्दा एवं वैशाली में लागु किया गया है | इस योजना के तहत रोहतास में टमाटर, अररिया, समस्तीपुर में हरी मिर्च, पूर्वी चम्पारण में लहसुन, भोजपुर में हरा मटर, शेखपुरा, बक्सर में प्याज, नालंदा में आलू और वैशाली में मधु उत्पादन को प्रोत्साहित किया जायेगा |

इस योजना के संचालन के द्वितीय चरण में भागलपुर, दरभंगा, पटना, सहरसा में आम, पशिक्षिम चम्पारण में हल्दी, किशनगंज में अनानास, समस्तीपुर, मुज्जफरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर में लीची, कटिहार खगड़िया में केला एवं कैमुर अमरुद की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा | इसके अतिरिक्त गया, औरंगाबाद एवं अन्य जिलों में पपीता, आँवला, पान जैविक सब्जी, गेंदा , गुलदाउदी एवं धनिया फसल का प्रोजेक्ट फाईनेंशियल अब्सट्रेक्ट एवं मशिनरिज डिटेल तैयार कर योजना का कार्यान्वयन कराया जायेगा |

यह योजना किस तरह से लागु किया गया है ?

यह योजना बिहार राज्य में लागु किया गया है | इस योजना को तिन भागों में बाटकर 5 वर्षों में पूरा किया जायेगा | प्रथम वर्ष में समूह के गठन के उपरांत सभी ढाँचागत सुविधा एवं मशीन आदि की स्थापना हेतु राशि उपलब्ध करायी जायेगी | दिवतीय एवं तृतीय वर्ष में उत्तम कृषि क्रियाओं (जी.ए.पी.) पैकेजिंग मैटेरियल एवं जी.एच.पी. हेतु ही राशि उपलब्ध करायी जायेगी | समूह के प्रस्ताव के आलोक में चतुर्थ एवं पंचम वर्ष में यथावश्यक मरम्मति एवं आकस्मिकता हेतु राशि उपलब्ध करायी जायेगी |

इस योजना के तहत संबंधित जिलों के लिए चिन्हित फसलों के पूर्व से आच्छादित एवं उपलब्ध क्षेत्रों को क्लस्टर के रूप में चिन्हित किया जाएगा | एक क्लस्टर में 50 हेक्टयर रकबा को सम्मिलित किया जायेगा | चिन्हित क्लस्टर में सम्मिलित सभी कृषकों का एक समहू तैयार कर समूह का पंजीकरण कराया जायेगा एवं समूह के प्रत्येक सदस्यों को कार्यक्रम के तहत अपनाये जाने वाले विभिन्न क्रिया – कलाप के लिए प्रशिक्षत कराया जायेगा | चिन्हित क्लस्टर को उत्तम कृषि क्रियाओं से लाभान्वित / आच्छादित कर उधानिक फसलों की गुणवत्ता में वृद्धि करायी जायेगी | प्रत्येक क्लस्टर को एक पैक हॉउस यूनिट से लाभान्वित कर सुदृढ किया जायेगा , जहां उधानिक उत्पाद के कलेक्सन, वांशिग, ग्रेडिंग आदि सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी|

इस बात का ध्यान रखना होगा की बिहार राज्य में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलने के कारण आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है | इस योजना से बिहार के किसानों का आर्थिक लाभ प्राप्त होगा और साथ ही साथ नवयुवक किसान को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा |

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