Home किसान समाचार खरीफ फसलों की बुआई से पहले कृषि विभाग ने बताया धान सहित...

खरीफ फसलों की बुआई से पहले कृषि विभाग ने बताया धान सहित अन्य फसलों में कितना खाद-उर्वरक डालें

 |  |
fasal me kitna khad dale

धान सहित अन्य खरीफ फसलों की बुआई का समय नजदीक आ रहा है जिसको देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसानों को फसलों के अधिक उत्पादन के लिए सलाह दी जा रही है। इस कड़ी में खरीफ फसल की बोनी से पहले एमपी के जबलपुर किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को पौध-पोषक प्रबंधन के तहत नैनो तकनीक पर आधारित नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी एवं अन्य उर्वरकों के समुचित प्रयोग की जानकारी प्रदान की गयी है।

उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास रवि आम्रवंशी के मुताबिक़ संकर धान एवं संकर मक्का के लिए अनुशंसित नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश 120:60:40, डी.एस.आर. पद्धति से बोनी के लिए 80:40:30 तथा दलहन एवं तिलहन फसलों के लिए गंधक के साथ एन.पी.के. 20:60:20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उपयोग में लाना चाहिए। कृषक डी.ए.पी. एवं यूरिया का बहुतायत से प्रयोग करते है। डी.ए.पी. की बढ़ती मांग, ऊंचे रेट एवं मौके पर स्थानीय अनुपलब्धता से किसानों को कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

इस कारण उपज की चमक और वजन में आती है कमी

कृषि विभाग के उपसंचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि किसानों द्वारा मृदा स्वास्थ कार्ड की अनुशंसा के आधार पर डी.ए.पी. के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट, एन.पी.के. तथा अमोनियम फास्फेट व सल्फेट आदि उर्वरकों का उपयोग करने से डी.ए.पी. की अनुपलब्धता की समस्या से निजात पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि किसान नाइट्रोजन, फास्फोरस तो डीएपी एवं यूरिया के रूप में फसलों को देते है लेकिन पोटाश उर्वरक का उपयोग खेतों में न के बराबर करते हैं। जिससे उनकी उपज में दानों में चमक एवं वजन कम होता है और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को हानि होती है।

डीएपी की जगह एसएसपी खाद का किया जा सकता है उपयोग

उपसंचालक ने बताया कि डी.ए.पी. के स्थान पर एस.एस.पी. के प्रयोग से भूमि की संरचना का सुधार होता है क्योंकि इसमें कॉपर 19 प्रतिशत एवं सल्फर 11 प्रतिशत पाया जाता है। एस.एस.पी. पाउडर एवं दानेदार दोनों प्रकार का होता है। एस.एस.पी. पाउडर को खेत की तैयारी के समय प्रयोग किया जाता है। वहीं एस.एस.पी. दानेदार को बीज बुआई के समय बीज के नीचे प्रयोग किया जाता है। डी.ए.पी. में उपलब्ध 18 प्रतिशत नाइट्रोजन में से 15.5 प्रतिशत नाइट्रोजन अमोनिकल फार्म एवं 46 प्रतिशत फास्फोरस में से 39.5 प्रतिशत नाइट्रोजन पानी में घुलनशील फास्फोरस के रूप में मृदा को प्राप्त हो पाती है। शेष फास्फोरस के जमीन में फिक्स हो जाने के कारण जमीन कठोर होती है।

आम्रवंशी ने बताया कि नैनो तकनीक पर आधारित 20 प्रतिशत नाइट्रोजन से युक्त नैनो यूरिया, 8 प्रतिशत नाइट्रोजन एवं 16 प्रतिशत फास्फोरस से युक्त नैनो डी.ए.पी को यूरिया एवं डी.ए.पी. के असंतुलित और अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्या के नियंत्रण के लिए बनाया गया है।

नैनो यूरिया और नैनो डीएपी से होता है यह लाभ

उपसंचालक आम्रवंशी के मुताबिक सामान्यतः एक स्वस्थ पौधे में नाइट्रोजन की मात्रा 1.5 से 4 प्रतिशत तक होती है। फसल विकास की विभिन्न अवस्थाओं में नैनो यूरिया एवं नैनो डी.ए.पी. का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की आवश्यकता प्रभावी तरीके से पूर्ण होती है एवं साधारण यूरिया एवं डी.ए.पी. की तुलना में अधिक एवं उत्तम गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त होता है।

नैनो यूरिया एवं नैनो डी.ए.पी. के प्रयोग द्वारा फसल उपज, बायोमास, मृदा स्वास्थ और पोषण गुणवत्ता के सुधार के साथ ही यूरिया की आवश्यकता को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। नैनो यूरिया 500 मिलीलीटर की कीमत 225 रुपये एवं नैनो डी.ए.पी. 500 मिलीलीटर की कीमत 600 रूपये है। कृषकों द्वारा नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, एसएसपी एवं एनपीके विभिन्न ग्रेड के उर्वरकों का प्रयोग न्यायसंगत है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
यहाँ आपका नाम लिखें

Exit mobile version