Home विशेषज्ञ सलाह फरवरी माह में  की जाने वाली कृषि गतिविधियाँ

फरवरी माह में  की जाने वाली कृषि गतिविधियाँ

फरवरी माह में  की जाने वाली कृषि गतिविधियाँ

गेहूं

गेहूं में सिंचाई 27-30 दिन के अन्तर पर करते रहें । इस माह तापमान बढने के दशा में गेहूं में बीमारिया नजर आने लगती है, जिनमें पीला रतुआ या धारीदार रतुआ, भूरा रतुआ या पत्तों का रतुआ तथा काला या तने का रतुआ रोग प्रमुख है । इन रोगों के रंगदार धब्बे पत्तों व तनों पर नजर आते हैं । बीमारी नजर आते ही 800 ग्राम जिनेव (डाझ्थेन जेड 78) या मैनकोजेव (डाईथेन एम-45) को 250 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें । उसके बाद 10-15 दिन के अन्तर पर २ या 3 छिडकाव करें । चूर्णी या पाउडरी मिल्डयु बीमारी में पत्तों में सफेद चूर्ण बन जाता है । जिससे बाद में बालियां भी रोगग्रस्त हो जाती है । रोग नियंत्रण के लिए 800-1000 ग्राम घुलनशील गंधक का छिडकाव करें । रोगरोधी किस्में लगाना ही सर्वोत्तम बचाव है ।

जौ एवं शरदकालीन मक्का

जौ एवं शरदकालीन मक्का में आवश्यकतानुसार सिंचाई कर सकते है । जों में बीमारियों का नियंत्रण गेहूं की भाति ही करें । शरदकालीन मक्का में यदि रतुआ तथा चारकोल बंट का खतरा होने पर 400-600 ग्राम डाइथेन एम 47 को 200-250 लीटर पानी में घोलकर 2-3 छिडकाव करें ।

चना

यदि भारी मिट्टी में उगाया  है तो ज्यादा सिचाई न दें । चने में बीमारियों से बचाव के लिए सहनशील किस्में चुनें | बैविस्टीन से बीजोपरचार (2.7ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज) करें तथा समय पर बोआई करें । रोगग्रस्त पौधों को जलाकर नष्ट कर दें।

मसूर, दाना मटर व चने में फलीछेदक के नियंत्रण के लिए फूल आते ही 400 मि.ली. एण्डोसल्फान 37 ई सी 100 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें तथा 510 प्रतिशत फत्रियां बळनन्ने पर छिडकाव फिर दोहराएं ।

भूरी सरसों, तारामीरा व अगेती पीली सरसों

इस माह पकने वाली है तथा माह के शुरू में हल्की सिंचाई देने से पैदावार बढ़ेगी । फलियां पीली पडने पर फसल काट लें इससे दाने बिखरते नहीं । फसल काट कर एक स्थान पर ढेर लगाकर सुखाएं तथा अच्छी तरह सुखने पर गहाई करें ।

चारा

चारा जैसे बरसीम, रिजका व जई की हर कटाई के बाद सिंचाई करें इससे अगली कटाई जल्दी मिलेगी।

सूरजमुखी

सूरजमुखी की फसल 15 फरवरी तक लगाई जा सकती है । पक्षी बीजों को निकाल कर ले जाते है इनसे बचाव के लिए ध्वनि करें । दिसम्बर व जनवरी में बोयी फसल में 30-37 दिन बाद पहली सिंचाई कर दें तथा नत्रजन की दूसरी किस्त ( 1 बोरा यूरिया) भी डाल दें ।

फूल

सर्दियों के फूल पूरी बहार पर होंगें । फूलों में देशी खाद व पानी लगाएं । फरवरी अंत तक गर्मी के फूलों की नर्सरी की बीजाई कर लें । गुलाब के पोधों की रोपाई तथा ग्रापिटगं भी फरवरी में की जा सकती हैं । गुलदाउदी के पौधों को काट-छांट के बाद गमलों बदल दें । कुछ फूल वाले पेड भी जैसे अमलतास, जैकेरेडा, गुलमोहर इत्यादि भी फरवरी माह में लगाए जा सकते हैं ।

वानिकी 

पोपलर का पेड गहरी उपजाऊ  अच्छे जल निकाल वाली भूमि में अच्छा होता है । इसे फरवरी माह में कलमों दवारा 2x 2 फुट दूरी पर नर्सरी में लगाया जा सकता है तथा अगले वर्ष पौधों को जनवरी फरवरी में खेत में लगा सकते हैं । नर्सरी में कलमें लगाने से पहले कैप्टान या डायथैन (0.3 प्रतिशत) घोल में डुबोए ताकि बीमारियों से बचाव रहे । पौधों को 3 फुट गहरे गढ़ढ़े खोदकर उपर की आधी मिट्टी में गोबर की सड़ी-गली खाद मिलाकर भरें तथा पूरा पानी लगाएँ । पोधों को मेढों पर कतारों में 10 फुट दूरी पर तथा सिंचाई नाली के दोनों ओर कतारों में ७ फुट दूरी पर लगाएँ । यदि खेत में अकेले पापुलर लगाना हो तो 16 x 16 फुट दूरी रखें इससे 270 पौधों लग जाएगें । पौधे लगाने से पहले 1 एकड़  में 1 लीटर क्लोरपाइरीफास पानी के साथ दें । इससे टीमक पर नियंत्रण रहेगा । हर महिने सिंचाई करें ।

सब्‍जि‍यॉं :

  • भि‍ण्‍डी की पूसा ए-4 कि‍स्‍म की बुआई फरवरी माह में कर दें।
  • भि‍ण्‍डी बुवाई के 8-10 दि‍न बाद सफेद मक्‍खी व जैसि‍ड कीटो से बचाव के लि‍ए 1.5 मि‍ली मोनेाक्रोटोफास दवा प्रति 1 ‍लि‍टर पानी के हि‍साब से  या 4 मि‍ली इमकडक्‍लोप्रि‍ड दवा प्रति‍ 10 लीटर पानी की दर से का छि‍डकाव करें।
  • भि‍ण्‍डी में उर्वरक की पूर्ति‍ के लि‍ए 15 टन प्रति‍ हैक्‍टेयर गोबर की खाद के साथ 100:50:50 की दर से NPK डालें।
  • इस माह में लौकी की पूसा संतुष्‍टि‍, पूसा संदेश (गोल फल) , पूसा समृध्‍दि‍ एवं पूसा हाईबि‍ड 3 की बुवाई करें।
  • खीरे की पूसा उदय , पूसा बरखा की बुवाई करें।
  • चि‍कनी तोरई की पूसा स्‍नेध व धारी दार तोरई की पूसा नूतन कि‍स्‍मों की बुआई करे।
  • करेले की पूसा वि‍शेष पूसा औषधि‍ एवं पूसा हाइब्रि‍ड 1,2 की बुआई करें।

फल फसलें:  

  • आम मे चुर्णि‍ल आसि‍ता रोग से बचाव के लि‍ए 2 ग्राम पति‍ 1 लि‍टर के हि‍साब से घुलनशील गंधक का छि‍डकाव करें
  • आम में यदि‍ पुष्‍प कुरूपता दि‍खाई दे रही है तो गुच्‍छों को तुरंत काटकर नष्‍ट कर दें।
  • आम में हॉपर कीडे के नि‍यंत्रण के लि‍ए कार्बारि‍ल दवा 2 ग्राम प्रति 1 लि‍टर पानी की दर से छि‍डाव करें।
  • अमरूद में फलों की तुडाई के पश्‍चात कटाई छंटाई करें।

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