Home किसान समाचार बकरी पालन के लिए किसानों को दिया गया 7 दिनों का प्रशिक्षण

बकरी पालन के लिए किसानों को दिया गया 7 दिनों का प्रशिक्षण

Bakri Palan Training Rajasthan

बकरी पालन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार पशुपालन को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में किसान पशुपालन व्यवसाय को अपनाकर अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें इसके लिए सरकार द्वारा समय-समय पर इच्छुक युवाओं और किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कड़ी में राजस्थान के बूँदी, कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को बकरी पालन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया जिसमें कुल 75 प्रशिक्षणार्थियों ने हिस्सा लिया।

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष प्रोफेसर हरीश वर्मा ने किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के अन्तर्गत चल रही योजना का लाभ उठाकर बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाकर रोजगार का साधन बनाने की सलाह दी।

बकरी पालन प्रशिक्षण में दी गई यह जानकारी

प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. घनश्याम मीना ने प्रशिक्षण के दौरान पशुपालक प्रशिक्षणार्थियों को बकरी में होने वाले रोगों की रोकथाम, बकरी की उत्तम नस्लें, गर्भावस्था के दौरान देखभाल, बकरियों में आहार व्यवस्था, बकरी का आवास, बकरियों के लिए आहार व चारा प्रबन्धन, टीकाकरण, चारे के लिए वृक्षारोपण, वर्ष भर चारा उत्पादन, पशु आहार बनाने के बारे में जानकारी दी।

प्रशिक्षण के दौरान बकरी का वजन तौलना, डी वार्मिंग (कीड़े मारने की दवाई पिलाना), टीकाकरण का समय तथा टीकाकरण की विधि, खुर काटना, उम्र का निर्धारण, आहार बनाना, टेग लगाना, बकरी के दूध से उत्पाद जैसे पनीर, मावा बनाना, रिकॉर्ड रखना, प्रसंस्कारित उत्पाद जैसे मांस को पैक कर दूसरे स्थान पर भेजना संबंधित प्रायोगिक जानकारी दी गई।

किसानों को दिए गए प्रमाण-पत्र

कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित बकरी पालन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे किसानों को प्रमाण-पत्र भी दिए गए। प्रशिक्षणार्थियों को केन्द्र की बकरी पालन इकाई व डेयरी प्रदर्शन इकाई पर भ्रमण भी कराया गया। जहाँ बकरी पालन के संबंध में रोजगार बढ़ाने हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम के समापन पर आये हुए सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए।

6 COMMENTS

    • अपने ज़िले केआर कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क करें वहाँ समय समय पर प्रशिक्षण होते रहते हैं।

    • अपने ज़िले के कृषि विज्ञान केंद्र या अपने नज़दीकी पशु चिकित्सालय या ज़िला पशुपालन विभाग में संपर्क करें।

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