लहसुन के यह भाव जानकर हैरान हो जाएंगे आप
राजस्थान के हतौसी तथा कोटा जिलों में दो किसान ने लहसुन के भाव न मिलने के कारण आत्म-हत्या कर ली है परन्तु सरकार की तरफ ने फिर से वही पुरानी बात दोहराई कि किसान की मौत तथा फसल की कीमत न मिलने से कोई सम्बन्ध नहीं है | यदि आकड़ों की माने तो प्रतिदिन 35 किसान आत्महत्या करते हैं | अक्सर सरकार की तरफ से कहा जाता है की किसान परम्परिक अनाज की खेती क्यों करते है | किसान को किसी और फसल की खेती करनी चाहिए | तो फिर यह दो मौत क्या है ?
किसानों का दर्द
मध्य प्रदेश के धार जिले में एक किसान ने बताया की उसके लहसुन 200 रु./ क्विंटल के दर से बेच दिया है यानि प्रति किलो 2 रु. | यह जो भाव किसानों को मिल रहा है यह न्यूनतम भाव नहीं है बल्कि 17 जून को मध्य प्रदेश के मंदसौर के किसान की लहसुन के भाव सुनकर तो आप चौक जायेंगे | यह किसान 3 क्विंटल 6 किलो 500 ग्राम लहसुन 153 रु. में बेचा है | यानि किसान को प्रति किलो 50 पैसा की दर से भाव मिला | लेकिन यह भी पैसा किसान को नहीं मिला बल्कि इसमें से भी 40 रु. मंडी समिति ने ही काट लिया |
किसान का कहना है की लहसुन को मंडी ले जाने का किराया भी नहीं निकला | पिछले वर्ष किसान आंदोलन प्याज के भाव नहीं मिलने के करण हुआ था | जिसमें किसान आंदोलन में मारे गये किसान अभिषेक पाटीदार के परिवार वालों ने बताया था की उसने 1.25 रु. के भाव से 52 किवंटल प्याज बेचा था | तो क्या यह मानकर चला जाए की एक – एक कर के सभी फसलों की कीमत मिटटी के मूल्य से भी कम कर दिया जायेगा | एक तरफ सरकार किसानों के आमदनी दुगनी करने की बात कर रही है तो दूसरी तरफ फसल के भाव को कंट्रोल नहीं कर पा रहा है | सभी फसलों का भाव लगातार गिर रहा है आलम यह है की सरकार के द्वारा तय 24 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी खरीदी नहीं कर पा रही है |
तो क्या सही भाव नहीं मिलना है किसानों की मौत का कारण
कृषि मत्री के द्वारा संसद में एक सवाल के जवाब में कहा है की 3 वर्ष में 36,000 किसान ने आत्महत्या कर रही है और यही जवाब 2011 में पिछली सरकार ने दिया था | तो कुल मिलाकर यह आती है की प्रति दिन 35 मौत पर किसी भी सरकार का कोई ध्यान नहीं है |
ज्यादा फसल का उत्पादन करने से ज्यादा किसान को मुनाफा नहीं होगा | बल्कि कम फसल की उत्पादन पर किसान को ज्यादा मुनाफा होगा | एक तो लागत में कमी होगी साथ ही आमदनी भी ज्यदा होगी | किसान भाई आपनी खरीफ फसल की बुवाई फसल का बाजार मूल्य देखकर करें तो जायदा अच्छा रहेगा |