देश में मशरूम की डिमांड अधिक होने के चलते मशरूम उत्पादकों को इसके अच्छे भाव मिल जाते हैं। जिसको देखते हुए सरकार भी मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुदान दे रही है। इस कड़ी में बिहार की महिलाओं ने मशरूम उत्पादन का नया तरीका ईजाद किया है। बिहार के गया जिले के बांकेबाजार की महिलाएँ पॉलीथिन का उपयोग बार-बार करने बजाए प्लास्टिक की बाल्टी में मशरूम लगाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर रही हैं।
इस तरह प्लास्टिक की बाल्टी में लगाया जाता है मशरूम
प्लास्टिक बाल्टी में पांच किलो गर्म पानी से उपचारित भूसा रखकर उसमें मशरूम के बीज (स्पॉन) को छिड़क दिया जाता है। एक बार एक बाल्टी में 5 से 7 किलो मशरूम का उत्पादन हो जाता है। इसके बाद इसे निकालकर पुनः बाल्टी में भूसा डालकर दोबारा से मशरूम बीज डाल दिये जाते हैं। गर्म पानी से भूसा उपचारित होने के कारण इससे उत्पादित मशरूम जैविक होते हैं। जिससे महिलाओं को अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है। साथ ही पॉलीथिन के अनावश्यक उपयोग से बचा जा सकता है।
मशरूम उत्पादन के लिए सरकार देती है इतना अनुदान
कृषि विभाग के मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि वाणिज्यिक मशरूम उत्पादन की इकाई स्थापना के लिए सरकार 50 प्रतिशत अथवा 10 लाख रुपये प्रति इकाई अनुदान का प्रावधान है। मशरूम स्पॉन निर्माण के लिए 7.50 लाख रुपये प्रति इकाई तथा मशरूम कंपोस्ट इकाई की स्थापना के लिए 10 लाख रुपये अनुदान की व्यवस्था की गई है। साथ ही, झोपड़ी में मशरूम उत्पादन के लिए 89.75 हजार रुपये की व्यवस्था की गई है। साथ ही मशरूम किट के लिए 90 प्रतिशत अधिकतम 54 रुपये प्रति इकाई का अनुदान दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि बिहार मशरूम उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है। मशरूम उत्पादन में महिलाओं का योगदान सराहनीय है। मशरूम उत्पादन न केवल किसान परिवार के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है बल्कि यह फसल अवशेष प्रबंधन में भी सहायक है।