back to top
बुधवार, अप्रैल 17, 2024
होमपशुपालनबरसात के मौसम में कुक्कुट को इस तरह रोगों से बचाएं

बरसात के मौसम में कुक्कुट को इस तरह रोगों से बचाएं

बरसात में कुक्कुट पालक कौन से कार्य करें

बरसात के मौसम में कुक्कुट पक्षियों के सही रख – रखाव एवं उनकी देखभाल बहुत ही जरुरी हो जाती है | बरसात में उचित रख – रखाव न होने के कारण कुक्कुट व्यवसायियों को काफी क्षति उठानी पड़ती है | बरसात के मौसम में कुक्कुट पक्षियों की सही देखभाल हेतु बरसात शुरू होने से पूर्व कुक्कुट गृहों की मरम्मत का कार्य पूर्ण कर लिया जाय जैसे छतों से दरार / रिसाव , फर्श मरम्मत, पर्दे आदि ए सारी चीजें तैयार हो जानी चाहिए | प्लास्टिक के पर्दे से दोहरा फायदा कुक्कुट पलकों को मिलता है | पहला कि बरसात के बौछारों से बचाव दूसरा तेज हवाओं को रोकना, कुक्कुट आहार में फफूंद रोग हो जाना बरसात में आम बात हो जाती है | इसकी सावधान हेतु कुक्कुट पलकों को आहार का आयत बरसात में ज्यादा नहीं करना चाहिए | इसके लिए सुखा तथा ताजा आहार पहले से इकट्ठा कर भंडार गृह में रख लेना चाहिए |

कुक्कुट पालन में इन बातों का ध्यान रखें

मूंगफली की खली में फंगस का असर जल्दी होता है तथा इसके बचाव हेतु एन्टीफंगस का प्रयोग करना चाहिए | इस बात को ध्यान में रखे कि आहार में नमी की मात्रा 10 प्रतिशत से अधिक न होने पायें | मुर्गी जाली में एक से डेढ़ फिट दुरी पर पर्दों लगाना चाहिए ताकि पर्दों से पानी का रिसाव सीधे मुर्गियों के विछावें को गीला न करने पाये | गिला विछावे को तत्काल निकाल कर नया तथा सुखा विछावा/ बरादा को तुरन्त लगवाना चाहिए | गिले बरादे के कारण काक्सिडियोसिसजैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है | जिसके कारण फलकों में मृत्यु दर की सम्भावना अधिक हो जाती है तथा चूजे में विकास चाहिए इससे एस्परजिलासिस जैसी बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है | विछावन अगर ज्यादा गीला हो जाय तो इसमें चुना मिला दि ताकि बिछावन की नमी थोड़ी कम हो जाए |

यह भी पढ़ें   सरकार ने पशुपालन क्षेत्र के लिए लॉन्च की अब तक की पहली ऋण गारंटी स्कीम

 विछावन ज्यादा सख्त हो जाये तो उसे निकलकर बाहर फिकवा दे तथा उसकी जगह सूखा लिटर रखवा दे | बरसात के दिनों में बिछावन की गहराई बढ़ा दे तथा प्रत्येक मुर्गियों को आधा वर्ग फीट की जगह और बढ़ा दे | 2 – 3 इंच सुखी रेट फर्श पर डालकर उस पर बिछवान बिछाने से जमीन की नमी से बिछावन का बचाव होता है | आहार का भंडारण गृह सीलन रहित होना चाहिए | आहार को रखने से पहले जमीन पर लकड़ी के पटरे रखेंगे | तदनुसार उस पर आहार की बोरी बारी – बारी से रखना चाहिए | इससे जमीन की नमी से आहार को बचाया जा सकता है |

 नये आहार की बोरी को 10 – 15 दिन के अन्दर अवश्य प्रयोग कर लेना चाहिए | बरसात के मौसम में मक्खियों का प्रकोप बढ़ जाता है | इसके कारण बहुत अधिक बीमारियों के फैलने की सम्भावनायें बढ़ जाती है | इसके लिए मैलाथियान का छिड़काव शेड के बाहर करवा लेने से इनका बचाव किया जा सकता है | जहाँ – जहाँ पर बीट अधिक गीली हो जाए उस जगह पर सुखी रेट बीट के ऊपर डाल दें |

यह भी पढ़ें   यदि आपके पास पशु है तो बारिश के मौसम में करें यह काम, नहीं होगा आर्थिक नुकसान

मक्खियों की रोकथाम हेतु बीट के ऊपर थोडा फिनायल का स्प्रे करने से मक्खियों का बचाव किया जा सकता है | दस्त की बीमारी बरसात में अधिक उत्पन्न हो जाती है | जो कि पेट में किडन की मौजूदगी से होती है | इसके लिए शाम के समय पिपराजीन साल्ट का प्रयोग उत्तम होता है | कुक्कुट गृहों की खाली जगह / गड्डे आदि को मिट्टी से भरवा दे ताकि मच्छरों , कीड़ों आदि के प्रजनन को रोका जा सकें | पानी के सभी भंडारण / स्त्रोत यानि पानी की टंकी, कुएं के पानी का कीटाणु रहित रकने के लिए ब्लींचिग पाउडर या पोटैशियम परमैगनेट का प्रयोग पानी में करना चाहिए |

इस तरह की ताजा जानकरी विडियो के माध्यम से पाने के लिए किसान समाधान को YouTube पर Subscribe करें

6 टिप्पणी

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
यहाँ आपका नाम लिखें

ताजा खबरें

डाउनलोड एप