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वर्ष 2019 में किसानों को सरकार से क्या उम्मीदें है और क्या हैं सरकार की चुनोतियाँ ?

वर्ष 2019 में किसानों की उम्मीदें

“किसानों की वार्षिक आय मात्र 20,000 सालाना है, किसान कर्ज में डूबा हुआ है, कई बार किसानों की फसलों की लागत नहीं निकल पाती, किसानों की आत्महत्या,पलायन और कई समस्याएं किसानों के आन्दोलन की तीव्रता बढती जा रही है 2018 किसानों के आंदोलनों का साल रहा है यह देखना जरुरी है की  चुनावी वर्ष किसानों के लिए कितने तोहफे लाता है और कितनी उम्मीदें तोड़ता है ”

वर्ष 2018 बीत चूका है | किसानों की उमीद 2018 से अब समाप्त हो गई है | अब जो भी होगा नये वर्ष में होगा | नये वर्ष में दो ही बाते होते हैं पहला यह की पिछले वर्ष क्या पाया दूसरा यह की नये वर्ष में क्या करेंगे | यहाँ पर हम केवल किसानों की ही बाते करेंगे | आज किसान समाधान आप सभी के लिए किसानों की समस्या तथा सरकार से उम्मीद पर चर्चा करेगा | वर्ष 2018 किसानों के आन्दोलन का साल रहा इस वर्ष किसानों ने लगातार कई आन्दोलन किये | सरकार द्वारा किसानों की कुछ मांगों को माना गया और बहुत सी मांगे अभी भी बनी हुई हैं | वर्ष 2018 के अंत मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ किसानों के लिए कर्जमाफी का तोहफा लेकर आया पर अभी तक सभी बातें साफ नहीं हुई है |

सरकार के सामने किसानों की मुख्य समस्याएं में किसानों का कर्ज तले होना उनकी आत्महत्या का कारण बना हुआ है इसे कैसे रोका जाए साथ ही किसानों का पलायन लगातार बढ़ रहा है इस तरफ भी सरकार को ध्यान देना होगा की किस तरह खेती को लाभ का धंधा बना कर पलायन को रोका जाये एवं युवाओं को खेती बाड़ी से रोजगार दिया जाए | आइये इन चुनोतियों को विस्तार से जानने का प्रयास करते हैं |

किसानों की कर्ज माफ़ी

किसानों पर कर्ज एक बड़ी समस्या बना हुआ है | यह समस्या दिन प्रतिदिन गंभीर होते जा रही है | वर्ष 2018 में किसान ने केंद्र सरकार से यह उम्मीद किया था की उनका लोन माफ़ कर दिया जायेगा | परन्तु  ऐसा नहीं हुआ है | वर्ष 1990 तथा 2008 में किसानों का कर्ज माफ़  हुआ था उसके बाद अभी तक किसानों की कृषि कर्ज माफ़ नहीं हुआ है | किसान यह आस में था की पिछले वर्ष केंद्र सरकार पुर्वार्ती सरकार की तरह ही किसानों का कर्ज माफ़ कर देगीलेकिन एसा नहीं हुआ है | अभी देश में किसानों पर लगभग 12.60 लाख करोड़ रुपया का कर्ज है |

वर्ष 2016 के अनुसार देश में कुल NPA 9.60 लाख करोड़ रुपया है | जिसमें से किसानों का केवल 85 हजार करोड़ रुपया है | फिर भी केंद्र सरकार ने किसानों का कर्जा माफ़ नहीं किया है | देश के कुछ राज्यों में किसानों का कर्ज माफ़ किया गया है जिसमे मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा असम दिसम्बर में ही किया है | मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा असम राज्यों के मिलाकर किसानों को कुल 1.1 लाख करोड़ रुपया का कर्ज माफ़ होगा | यह सभी किसानों का कर्ज माफ़ चुनावी वर्ष होने के कारण हुआ है | इसी तरह देश में 2019 में लोक सभा का चुनाव है , इसलिए देश के किसान यह उम्मीद कर सकते हैं की लोकसभा के पहले कृषि कर्ज माफ़ हो जायेगा | दूसरी यह उमीद हो सकती है की चुनाव के बाद नई सरकार किसानों का कर्ज माफ़ करेगी |

किसानों की आत्महत्या में कमी हो 

वर्ष 1995 से लेकर 2015 तक किसानों की कुल आत्महत्या 3,02,116 किसानों ने आत्म हत्या की है इसमें से ज्यादा तर किसान कर्ज के कारण है अगर सरकार किसानों की कर्ज माफ़ करता है तो किसानों की आत्महत्या में कमी आएगी | दूसरा यह की किसानों की फसल की सही कीमत नहीं मिलना भी एक बड़ी वजह है | सरकार ने वर्ष 2015 के बाद से ही किसानों की आत्महत्या की सूचि जारी करना बंद कर दिया है | इस बार के शीतकालीन सत्र में सवाल पूछने पर भी किसानों की आत्महत्या की जानकारी नहीं दिया गया है |

प्रधानमंत्री बीमा योजना में सुधार

किसानों के तरफ से लगातार हो रहे विरोध तथा पिछले वर्ष अक्टूबर तथा नवम्बर माह में दिल्ली में दो बड़े आंदोलन ने सरकार के कान खड़े कर दिए हैं | जिसके बाद सरकार ने यह माना है की प्रधान मंत्री बीमा योजना में कमियाँ है | इसलिए सरकार ने इस योजना की समीक्षा के लिए भेज दिया है | इसलिए किसानों को यह उम्मीद करना चाहिए की नये साल में परधन मंत्री बीमा य्पोजना में सुधार लाया जायेगा |

कृषि लोन को बढ़ाना 

लगातार तीन वर्षों से किसानों का कृषि लोन बजट में बढ़ जाता है | देश के कुल कृषि लोन का 18% लोन केवल किसानों के लिए होता है ऐसे में अगर किसानों के लिए लोन की सीमा बढ़ायी जाती है तो किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा | एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की नये वर्ष में सरकार (राज्य और केंद्र) किसानों का लोन माफ़ करती है तो किसान डिफाल्टर से बहार आ जाएंगे | जिससे किसानों को दुबारा लोन मिल सकेगा | जिस राज्यों में किसानों का लोन माफ़ हो गया है या हो रहा है उस राज्य के किसान दुबारा लोन ले सकते हैं |

किसानों की पलायन

कृषि में हो रहे लगातार घाटा तथा साल भर तक रोजगार नहीं मिलने के कारण किसान खेती को छोड़ रहे हैं और पलायन करने को मजबूर हैं | देश की कुल जी.डी.पी. में कृषि का योगदान मात्र 17% है | इसलिए सरकार ने रोजगार के लिए अवसर उपलब्ध कराना जरुरी है | वर्ष 2018 तक सरकार ने छोटे रोजगार के लिए कुछ कदम उठाया है जैसे मुद्रा लोन, कौशल विकास योजना, फ़ूड पैकिंग इत्यादी इसलिए किसानों को यह उमीद करना चाहिए की सरकार छोटे-छोटे कृषि आधारित रोजगार को बढ़ावा देगी |

फसल का लाभकारी मूल्य दिया जा सकता है 

वर्ष 2018 में सरकार ने यह बताया की किसानों की फसल का मूल्य लागत का 1.5 गुणा ज्यदा दिया है | लेकिन सरकार ने किसानों की लागत में भूमि की रेंट (किराया) नहीं जोड़ा गया है | इसलिए किसानों की उम्मीद 2019 में सरकार से बनी रहेगी |

किसानों की आमदनी दोगुनी करना 

प्रधानमंत्री ने जब से यह घोषणा किया है की वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगना कर दिया जायेगा | तब से किसानों की यह उम्मीद है की सरकार उसके लिए कुछ कदम उठाएगी | वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव तथा आमदनी दुगना करने के मुद्दों को ध्यान में रखते हुये किसानों को यह उमीद करना चाहिए की सरकार किसानों का आमदनी दुगना करगी | यहाँ पर एक बात जानना जरुरी है की किसानों की अभी कुल आमदनी 20,000 रु. वार्षिक है अगर यह दुगना भी कर दिया गया तो किसानों की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं होगा |

सरकारी खरीदी की क्षमता को बढ़ाना 

केंद्र तथा राज्य सरकार किसानों से धान एवं गेंहू को खरीदती है | वह भी सभी राज्यों में नहीं खरीदती है | इसमें एक बड़ा कारण सभी जगह मंडी तथा खरीदी केंद्र की बहाली नहीं होना है | वर्ष 2018 के बजट में केंद्र सरकार ने किसानों की मंडी के लिए 2,000 करोड़ रुपया दिया था | किसानों की यह उम्मीद रखना होगा की वर्ष 2018 का बजट किसानों पर आधारित होगा | 

उर्वरक की उपलब्धता 

वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने यूरिया की पैकेट को 50 किलोग्राम की जगह 45 किलोग्राम कर दिया है | इससे यह उमीद बनी हुई है की सरकार किसानों को उर्वरक पर उपलब्धता कम कर सकती है | और किसानों को जैविक खाद की तरफ जाना होगा | इसका दूसरा कारण यह है की सरकार यह चाहती है की किसानों की कृषि में लागत कम किया जाए |

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