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गुरूवार, मार्च 28, 2024
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गर्मी में मूंग की खेती के लिए इस दिन से दिया जायेगा नहरों में पानी

ग्रीष्मकालीन मूँग के लिए सिंचाई हेतु नहर से पानी

देश के कई क्षेत्रों रबी फसलों की कटाई के बाद ऐसे किसान जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है वह किसान गर्मी (जायद) में मूँग, उड़द, तरबूज़ एवं अन्य फसलें लगाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में अधिक वर्षा के कारण खरीफ फसलों के खराब हो जाने के कारण किसान एवं सरकार दोनो ही गर्मी में अतिरिक्त फसल लेने पर ज़ोर दिया जा रहा हैं जिससे लगातार जायद में मूँग एवं रबी फसलों का रक़बा बढ़ता जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने इसको ध्यान में रखते हुए समय पर नहरों में समय पर पानी देने का फैसला लिया है जिससे किसान समय पर मूँग की खेती कर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकें।

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम संभाग में किसान ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती बड़े उत्साह से की जा रही है। पिछले 2 वर्षों से राज्य में जायद मूँग का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, जिसके बाद राज्य सरकार भी किसानों से समर्थन मूल्य पर मूँग की ख़रीदी करती है जिससे किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है। राज्य में इस वर्ष भी सरकार मूंग की खेती को बढ़ावा देने के लिए तवा डेम से पानी देने जा रही है। राज्य सरकार पिछले वर्ष मूंग के उत्पादन को देखते हुए इस बार पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा पानी दिया जाएगा |

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25 मार्च से दिया जायेगा जायद मूँग के लिए पानी

जल–संसाधन मंत्री श्री सिलावट ने हरदा और नर्मदापुरम जिले के किसानों के लिए ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए 25 मार्च से तवा डेम से नहरों में पानी छोड़ने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। मंत्री के अनुसार इस बार किसानों को मूंग के लिए और अधिक पानी दिया जाएगा।

कृषि मंत्री श्री पटेल ने कहा कि दो दिवसीय तवा उत्सव समारोहपूर्वक मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान भी हमारी सरकार ने हरदा और नर्मदापुरम जिले के किसानों को तवा डैम से सिंचाई के लिये पानी दिया गया था। इससे ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल का रिकार्ड उत्पादन हुआ और किसानों की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक सुधार आया। 

6.82 लाख हेक्टेयर भूमि में की गई थी मूँग की खेती

वर्ष 2021–22 में मध्य प्रदेश में 6 लाख 82 हजार हेक्टेयर भूमि में मूंग की खेती की गई थी| इससे 12  लाख 16 हजार मीट्रिक टन मूंग का उत्पादन किया गया था | राज्य सरकार ने राज्य में मूंग की उत्पादन को देखते हुए किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ दिया गया था। राज्य के किसानों से 1 लाख 34 हजार मीट्रिक टन मूंग की खरीदी की गई थी। 

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