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कृषि मशीनों की खरीद के लिए किसानों को दी जा रही है 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी

कृषि यंत्रों की खरीद पर किसानों को अनुदान

किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए देश भर में कृषि मशीनीकरण पर सब-मिशन (एसएमएएम) का क्रियान्वयन किया जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अपर सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने 8 अप्रैल 2022 को दक्षिणी क्षेत्र फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (एसआरएफएमटीएंडटीआई) अनंतपुर का दौरा किया और किसानों के साथ ड्रोन प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया। यहाँ उन्होंने विभिन्न उन्नत कृषि मशीनों का प्रदर्शन भी देखा और किसानों के साथ बातचीत करते हुए सरकार द्वारा कृषि यंत्रों पर दी जाने वाली वित्तीय सहायता के बारे में जानकारी दी। 

डॉ.लिखी ने बताया कि कृषि मशीनीकरण पर सब-मिशन (एसएमएएम) के तहत विभाग द्वारा किए गए कृषि मशीनीकरण कार्यों, जिन्हें राज्य सरकारों के माध्यम से लागू किया जा रहा है। छोटे और सीमांत किसानों तक तथा उन क्षेत्रों में जहां कृषि शक्ति की उपलब्धता कम है, कृषि मशीनीकरण की पहुंच बढ़ाने के प्रमुख उद्देश्यों के साथ ‘कस्टम हायरिंग सेंटर‘ को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही छोटे जोत और व्यक्तिगत स्वामित्व के चलते उच्च लागत के कारण उत्पन्न होने वाली प्रतिकूल अर्थव्यवस्थाओं के असर को कम करने के लिए भी इन सेंटर्स को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

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कृषि यंत्रो की खरीद पर कितना अनुदान दिया जाता है

डॉ. लिखी ने बताया कि किसानों के लिए मशीनों और उपकरणों को किफायती बनाने के मकसद से कृषि मशीनों की खरीद के लिए एसएमएएम के तहत किसानों की श्रेणियों के आधार पर लागत के 40 से 50 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। ग्रामीण युवाओं और किसान को एक उद्यमी के रूप में, किसानों की सहकारी समितियों, पंजीकृत किसान समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और पंचायतों को कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) और उच्च मूल्य वाली कृषि मशीनों के लिए हाई-टेक हब की स्थापना के लिए परियोजना लागत की 40 प्रतिशत की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

10 लाख रुपये तक की लागत वाली परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत की 80 प्रतिशत वित्तीय सहायता सहकारी समितियों, पंजीकृत किसान समितियों, एफपीओ और पंचायतों को ग्रामीण स्तर के कृषि मशीनरी बैंकों (एफएमबी) की स्थापना के लिए दी जाती है। एफएमबी की स्थापना के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वित्तीय सहायता की दर 10 लाख रुपये तक की परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत का 95 प्रतिशत है।

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