23 फ़रवरी के दिन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिहार पहुंचकर मखाना की खेती कर रहे किसानों से चर्चा की और उनसे सुझाव मांगे। केंद्रीय कृषि मंत्री ने मखाने की खेती की जानकारी लेने के लिए दरभंगा में तालाब में उतरे और मखाने की खेती की पूरी प्रक्रिया समझी और मखाना उत्पादन में आने वाली कठिनाइयों को जानने के साथ ही किसानों से सुझाव भी लिए।
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मखाना की खेती कठिन है और तालाब में दिनभर रहकर खेती करनी होती है। केंद्र सरकार ने इस वर्ष बजट में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की है और इस बोर्ड के गठन के पहले वे किसानों से सुझाव लेकर चर्चा कर रहे हैं, ताकि किसानों की वास्तविक समस्याएं समझी जा सकें। उन्होंने दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र पर संवाद कार्यक्रम में मखाना के किसानों से सुझाव लेने के साथ ही उन्हें संबोधित भी किया।
तालाब में उतरकर लगाई मखाने की बेल
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि मखाना सुपरफूड है, पौष्टिकता का भंडार है, ये मखाना आसानी से पैदा नहीं होता है। मखाना पैदा करने के लिए कितनी तकलीफें सहनी पड़ती है, ये यहां आकर देखा जा सकता है। इसलिए मेरे मन में ये भाव आया कि जिन्होंने किसानों की तकलीफ नहीं देखी, वो दिल्ली के कृषि भवन में बैठकर मखाना बोर्ड बना सकते हैं क्या..? इसीलिए मैंने कहा, पहले वहां चलना पड़ेगा जहां किसान मखाने की खेती कर रहा है। खेती करते-करते कितनी दिक्कत और परेशानी आती है, ये भी हो सकता है कि यहां कार्यक्रम करते और निकल जाते लेकिन इससे भी सही जानकारी नहीं मिलती।
कृषि मंत्री ने पोखर में उतरकर मखाने की बेल लगाई। उन्होंने जब बेल हाथ में ली तो पता चला कि उसके ऊपर भी कांटे और नीचे भी कांटे थे। तब उन्होंने कहा कि हम तो केवल मखाने खाते हैं, लेकिन कभी कांटे नहीं देखे। जब हमारे किसान भाई-बहन मखाने की खेती करते हैं उनके लिए जितना लगाना कठिन है, उतना ही निकालना भी कठिन है।
कांटा रहित मखाने की किस्म बानने के दिए निर्देश
इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ICAR व अनुसंधान केंद्रों को कांटा रहित मखाने का बीज विकसित करने पर काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मखाने को पानी में डुबकी लगाकर निकालना पड़ता है पूरे डूब गये आँख, नाक, कान में पानी और केवल पानी ही नहीं होता है, पानी के साथ कीचड़ भी होता है। अब आज के युग में मैकेनाइजेशन से ये चीज बदली जा सकती है, अभी यंत्र तो बने हैं लेकिन उसमें आधा मखाना आता है और आधा आता ही नहीं है। गुरिया बड़ी मुश्किल से निकलती है और इसलिए मैकेनाइजेशन होगा और ऐसे यंत्र बनाए जाएंगे जो गुरिया को आसानी से बाहर खींच लाए। आज टेक्नोलॉजी है और प्रोसेसिंग में लगे कई मित्र ये काम कर रहे हैं।
मखाना उत्पादन की लागत कम करेगी सरकार
कृषि मंत्री ने कहा कि हम उत्पादन बढ़ाने पर काम करेंगे। दूसरा काम हम उत्पादन की लागत को कम करने के लिए करेंगे। और तीसरा काम उत्पादन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए किया जाएगा। जिससे खेती आसान हो जाए। अब कई पोखर चाहिए, तालाब चाहिए पानी रोकने की व्यवस्था चाहिए, हम लोग विचार करेंगे कि केंद्र और राज्य सरकार की अलग-अलग योजना के तहत ये कैसे बनाए जा सकते हैं।
किसानों को दिया जाएगा योजनाओं का लाभ
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि लीज पर ज़मीन लेकर खेती करने वाले किसानों को केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। चाहे किसान क्रेडिट कार्ड हो, कम दरों पर ब्याज, खाद की व्यवस्था, एमएसपी आदि। बटाईदार, मेहनत करने वाले को भी लाभ मिलना चाहिए। इस दिशा में हम काम कर रहे हैं। मखाना उत्पादन किसानों की ट्रेनिंग पर भी काम किया जाएगा। कार्यशाला लगाना, ट्रेनिंग कैंप लगाकर कैसे कौशल विकसित किया जाए, इसकी कोशिश करेंगे।