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केंद्रीय कृषि मंत्री ने नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं फसलों की 562 किस्मों का किया विमोचन

New Agricultural Technologies and Varieties Released

नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं फसलों की 562 किस्में लांच

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने सोमवार को आईसीएआर की उपलब्धियों, प्रकाशनों, नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं कृषि फसलों की नई किस्मों की लॉन्चिंग तथा कृतज्ञ हैकाथान के विजेताओं को पुरस्कार वितरण के कार्यक्रम को संबोधित किया | इस मौके पर केन्द्रीय कृषि मंत्री ने आईसीआर के द्वारा विभिन्न फसलों के नई प्रजातियाँ जो वर्ष 2021–22 के लिए जारी की गई है उनकी जानकारी दी | उन्होंने साथ ही कहा कि दलहन तथा तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए इस वर्ष किसानों के बीच उच्च उत्पादन देने वाली तथा नई विकसित किस्मों के बीजों की कीटस किसानों के बीच बांटी जाएँगी |

कृषि मंत्री ने कृषि फसलों की नई किस्मों की जानकारी तथा उपलब्धियां बताई

फसल विज्ञान प्रभाग ने वर्ष 2020–21 के दौरान कृषि फसलों की 562 नई उच्च उपज देने वाली किस्में जारी किया है | इसमें अनाज, दलहन, तिलहन, चारा, गन्ना तथा अन्य फसलें शामिल है | इन सभी किस्मों की जानकारी इस प्रकार है:-

  • अनाज 223,
  • तिलहन 89,
  • दलहन 101,
  • चारा फसल 37,
  • रेशेदार फसल 90,
  • गन्ना 14,
  • और संभावित फसल 8

विशेष गुणों वाली जौ, मक्का, सोयाबीन, चना, दालें, अरहर फसलों की 12 नई प्रजाति विकसित की गई हैं | इसमें सभी फसलों के प्रजाति की विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

  • जौ – उच्च माल्ट गुणवत्ता
  • मक्का – उच्च लाइसिन, ट्रिप्टोफोन और विटामिन ए (अनाज में उच्च मिठास, उच्च फुफ्फुस है)
  • सोयाबीन – उच्च ओलिक एसिड
  • चना के 2 किस्में विकसित की गई है, यह किस्में सूखे के प्रति सहनशील तथा उच्च प्रोटीन वाली हैं |
  • दालें के 3 किस्में विकसित की गई हैं, यह किस्में लवणता में सहिष्णु है |
  • अरहर के 1 किस्म विकसित की गई है, यह किस्म बारिश पर निर्भर परिस्थितियों में भी अच्छी उत्पादन देने वाली है |

बागवानी क्षेत्र के लिए 89 प्रजातियां की गई विकसित

देश की विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों में उच्च उत्पादकता के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए बागवानी विभाग द्वारा बागवानी फसलों की 89 प्रजातियों की पहचान की गई है | ये प्रमुख प्रजातियाँ और तकनीक अलग–अलग फसलों के इस प्रकार है :-

संकर बैंगन काशी मनोहर

बैंगन की यह किस्म जो कि जोन – 7 (मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र) में प्रति पौधा 90–100 फल देगी | प्रति फल वजन 90 से 95 ग्राम का है | इस प्रजाति के बैंगन का उत्पादकता 625 – 650 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के लिए अनुशंसित है |

विट्ठल कोको संकर – 6

इस प्रजाति की उत्पादकता 2.5 से 3 किलोग्राम सुखा बीज / वृक्ष है | बीज में वसा 50 से 55 प्रतिशत ब्लैक बीन सड़ने की बिमारी के प्रति सहनशील और केरल में उगाने के लिए टी मेष की सिफारिश की जाती है |

शिटाके खुम्ब

खुम्ब की एक प्रारंभिक उत्पादन तकनीक विकसित की गई है, जिसके लिए आईसीएआर ने पेटेंट लिया है | यह तकनीक 45 से 50 दिनों की अवधि में 110 से 130 पतिशत की जैव – दक्षता के साथ पैदावार दे सकती है | आमतौर पर शिटाके खुम्ब की अवधि 90–120 दिन की होती है |

पशुओं के लिए अश्व फ्लू तथा गर्भावस्था निदान किट विकसित

पशु विज्ञान प्रभाग–राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार द्वार अश्व फ्लू के लिए के लिए मोनोक्लोनल एंटी बॉडी –आधारित एलिसा किट विकसित की गई है | आईसीआर–एनआरसीई में एक मोनोक्लोनल आधारित एंजाइम इम्यूनोएस विकसित किया है जो बहुत कम डिटेक्शन लेवल (0.25HA यूनिट) पर विभिन्न वंशों में H3N8 एंटीजन का पता लगा सकता है | इस विधि से परख करना आसान है और यह किट के रूप में उपलब्ध है जिसे एक वर्ष के लिए 4 डिग्री सेंटीग्रेट पर संग्रहित किया जा सकता है |

गाय और भैंस के लिए गर्भावस्था निदान किट

केन्द्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र, हिसार ने डेयरी पशुओं के यूरिन से गर्भ जांच करने के लिए प्रेग–डी नामक कीट विकसित की है, जिसमें यूरिन सैंपल से 30 मिनट में मात्रा 10 रूपये में टेस्ट किया जा सकता है |

मत्स्कीय प्रभाग – रेड सिवीड से बाइओडिग्रेडडबल पैकेजिंग फिल्म (बिओप्लास्टिक) बनाने की तकनीक बनाई है, जो बहुत ही कांस्ट इफेक्टिव है |

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