कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार ना केवल किसानों, युवाओं और महिलाओं को ड्रोन खरीदने के लिये सब्सिडी उपलब्ध करा रही है बल्कि ड्रोन चलाने के लिए ट्रेनिंग भी दे रही है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार राज्य में किसानों, युवाओं और युवतियों को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग देने जा रही है। इसके लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग ले सकते हैं।
कृषि विभाग सीकर के संयुक्त निदेशक कृषि रामनिवास पालीवाल ने बताया कि राज्य में हाइटेक कृषि को बढ़ावा देने के लिए 10वीं पास लोगों को कृषि विभाग की ओर से ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। इसमें आयु सीमा 18 से 65 वर्ष रखी गई है।
प्रशिक्षण (Training) के लिए कितना शुल्क देना होगा?
उपसंचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि किसानों और युवाओं को यह ट्रेनिंग श्री कर्णं नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर में दी जाएगी। विश्वविद्यालय की ओर से रिमोट पायलट के 6 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण के लिए 50 हजार रुपए रुपए शुल्क रखा है, लेकिन चयनित लोगों को 9,300 रुपए ही देने होंगे। जिसमें 5 हजार रुपए प्रशिक्षण और 4300 रुपए आवास व खाने का शुल्क है। निर्धारित शुल्क का 50 प्रतिशत कृषि विभाग और 50 प्रतिशत राशि में से 20 हजार रुपए श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय वहन करेगा।
ड्रोन प्रशिक्षण (Training) के लिए आवेदन कहाँ करें?
इच्छुक व्यक्ति जो ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं वे राज किसान साथी पोर्टल अथवा राज किसान सुविधा एप से ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदक को 10वीं और समकक्ष की अंकतालिका स्कैन कर अपलोड करनी अनिवार्य होगी। कृषक उत्पादक संगठन, कस्टम हायरिंग केंद्र द्वारा नामित होने की स्थिति में आवेदक को संगठन या केंद्र द्वारा नामित किए जाने का प्रमाण पत्र की प्रति भी स्कैन कर अपलोड करनी होगी। आवेदकों को चयन प्रक्रिया पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगी। प्रत्येक जिले से अधिकतम 10 प्रशिक्षणार्थियों को ड्रोन प्रशिक्षण के लिए अनुदान दिया जायेगा।
ड्रोन तकनीक से सूक्ष्म पोषक तत्वों और तरल उर्वरक पदार्थों का उपयोग आसानी से किया जा सकता है। ड्रोन संचालन के लिए प्रशिक्षित युवाओं का होना आवश्यक है। बेरोजगार युवाओं के लिए ड्रोन प्रशिक्षण एक उपयोगी कार्यक्रम है। यह युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित करेगा। किसी भी जिले से पर्याप्त संख्या में आवेदन नहीं आने की स्थिति में अन्य जिलों से प्राप्त आवेदनों की संख्या के आधार पर जिलेवार प्रशिक्षणार्थियों की संख्या का दोबारा से निर्धारण किया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद किसान खेती में नई तकनीक का प्रयोग कर सकेंगे। जिससे खेती को और भी बेहतर तरीके से की जा सकती है।