किसानों को कृषि क्षेत्र की नई तकनीकों की जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कड़ी में कृषि विज्ञान केन्द्र शाजापुर द्वारा कृषि यंत्रो के चुनाव एवं रखरखाव विषय पर चार दिनों का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण शिविर में किसानों को खेती को फायदेमंद बनाने के लिए उन्नत कृषि यंत्रों के उपयोग की सलाह कृषि विज्ञान केंद्र से लेने को कहा गया, जिससे आर्थिक लागत कम होगी और बेहतर परिणाम मिलेंगे।
प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ.जी.आर. अंबावतिया के द्वारा किसान भाइयों से अनुरोध किया गया कि पूरे प्रशिक्षण के दौरान उन्नत कृषि यंत्रों के संबंध में बताई गई तकनीकों का प्रयोग अपनी खेती-बाड़ी में करें। साथ ही खेती में अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए उद्यानिकी एवं औषधीय फसलों की खेती वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही करें।
किसान इन कृषि यंत्रों का करें प्रयोग
प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र के कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक डॉ.एस.एस. धाकड़ ने खेती बाड़ी में प्रयोग किये जाने वाले उन्नत कृषि यंत्रो के चुनाव, रखरखाव एवं उन्नत कृषि यंत्रो की उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान बताया गया कि विभिन्न फसलों की बुवाई के लिए हस्तचलित कृषि यंत्र डिबलर, पशु चलित बुवाई यंत्र के साथ रेज्ड बेड प्लांटर की विस्तार से जानकारी दी गई। रेज्ड बेड प्लांटर से बुवाई करने पर कम वर्षा की स्थिति में नमी का संरक्षण होता है एवं अधिक वर्षा की स्थिति में सुरक्षित जल निकास होता है। साथ ही ट्रेक्टर से चलने वाले विभिन्न जुताई, बुवाई, कटाई एवं गहाई के लिए उन्नत कृषि यंत्रों का उचित प्रचालन के साथ-साथ कृषि यंत्रों को चलाने से पहले, चलाने के दौरान एवं चलाने के बाद कौन-कौन सी सावधानी रखी जाए इसके बारे में प्रशिक्षण में विस्तार से जानकारी दी गई।
ड्रोन का किया गया प्रदर्शन
कृषि विज्ञान केन्द्र शाजापुर द्वारा फसलों में छिड़काव की उन्नत तकनीक ड्रोन का प्रदर्शन किया गया। इस ड्रोन प्रदर्शन के दौरान केन्द्र के प्रमुख डॉ. अम्बावतिया ने बताया की आज के डिजिटल युग में खेती भी आधुनिक होती जा रही है, इसलिये कृषि विज्ञान केन्द्र नये-नये कृषि यंत्रों का प्रदर्शन कृषि विज्ञान केन्द्र, प्रक्षेत्र तथा कृषकों के खेतों पर कर रहा है, जिससे ड्रोन जैसे तकनीक से कम समय तथा कम लागत में कृषक ज्यादा उत्पादन ले सकें। यह तकनीक उद्यानिकी फसलों संतरा, अमरूद, आम के साथ-साथ गेहूं, सरसों, अरहर, चना आदि फसलों के लिये भी काफी उपयोगी है। कार्यक्रम के दौरान 50 से अधिक किसान उपस्थित थे।
इस ड्रोन तकनीक के प्रदर्शन के दौरान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एस.एस.धाकड़ ने बताया कि ड्रोन स्प्रेयर एक आधुनिक कृषि यंत्र है जिसमें ड्रोन की आधुनिक तकनीक द्वारा फसलों में कीटनाशकों तथा घुलनशील उर्वरकों का छिड़काव किया जा सकता है। इस ड्रोन तकनीक के माध्यम से सिर्फ 10 मिनट में 10 लीटर पानी में एक एकड़ खेत में दवा का छिड़काव कर सकते हैं, जबकि हस्त चलित स्प्रे पंप से एक एकड़ में छिड़काव करने में 8 से 10 घण्टे तथा 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। ड्रोन की बैटरी को चार्ज करने में 20 मिनट का समय लगता है। इस ड्रोन तकनीक से समय, पानी तथा लेबर की काफी बचत होती है। ड्रोन द्वारा सभी प्रकार के कीटनाशक, फफूंदनाशक तथा घुलनशील उर्वरकों का छिड़काव किया जा सकता है।