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मंगलवार, दिसम्बर 3, 2024
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बकरी पालन के लिए किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

देश में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए युवाओं और किसानों को प्रशिक्षण के साथ ही अनुदान भी दिया जाता है। इस कड़ी में बूँदी ज़िले के कृषि विज्ञान केन्द्र पर 28 से 31 मई तक चार दिवसीय बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें बूँदी, कोटा, बारां व टोंक जिले के 37 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. घनश्याम मीना ने किसानों को बताया कि बेरोजगार युवाओं के लिए बकरी पालन एक लाभकारी व्यवसाय बन सकता है। बकरी पालन करने पर इससे दूध, मांस व खाद प्राप्त होता है। जिसका विपणन करके अच्छी आय अर्जित की जा सकती है। इसलिए बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाकर रोजगार का साधन बनाया जा सकता है।

प्रशिक्षण शिविर में किसानों को दी गई यह जानकारी

डॉ. घनश्याम मीना ने प्रशिक्षण के दौरान पशुपालक प्रशिक्षणार्थियों को बकरी में होने वाले रोगों की रोकथाम, बकरी की उत्तम नस्लें, गर्भावस्था के दौरान देखभाल, बकरी का आवास, बकरियों के लिए आहार व चारा प्रबंधन, टीकाकरण, चारे के लिए वृक्षारोपण, वर्ष-भर चारा उत्पादन, पशु आहार बनाने के बारे में जानकारी दी।

प्रशिक्षण के दौरान प्रायोगिक जानकारी जैसे बकरी का वजन तौलना, डी वार्मिंग (कीड़े मारने की दवाई पिलाना), टीकाकरण का समय तथा टीकाकरण की विधि, खुर काटना, उम्र का निर्धारण, आहार बनाना, टेग लगाना के बारे में बताया। साथ ही बकरी के दूध से उत्पाद जैसे पनीर, मावा बनाना, रिकॉर्ड संधारण करना तथा मांस से प्रसंस्कृत उत्पाद समोसे, कचोरी, पकौड़े, नगट्स आदि बनाना व पैक कर दूसरे स्थान पर भेजने से संबंधित जानकारी दी।

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बकरी में होने वाली बीमारियों की दी गई जानकारी

प्रशिक्षण शिविर के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र की विभिन्न प्रदर्शन इकाइयों का भ्रमण करवाया एवं बकरी में होने वाले रोगों और उनके निवारण के बारे में कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों से जानकारी दिलाई गई। वरिष्ठ पशु चिकित्सक, पशु चिकित्सालय डॉ. पंकज गुप्ता ने अनुदानित बीमा योजनाओं की जानकारी दी जिससे पशुपालकों को आर्थिक क्षति से बचाया जा सके।

पशुओं की विभिन्न बीमारियों में दूध, खून, मूत्र एवं गोबर, मैंगनी के नमूने लेने के तरीके और जांच के आधार पर उपचार का महत्व बताया। बीमा के लिए पशुपालक किसी भी पशु चिकित्सालय में सम्पर्क कर सकते हैं। पशुपालन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. मुकेश कुमार मीणा ने प्रशिक्षणार्थियों को बकरियों में होने वाले प्रमुख रोग एवं उनके उपचार के बारे में विस्तार से बताया।

बकरी पालन लोन के लिए दी गई जानकारी  

नाबार्ड के सहायक महाप्रबन्धक राजकुमार जी ने बताया कि बकरी पालक स्वयं सहायता समूह एवं किसान उत्पादक संघ बनाने में आने वाली कठिनाईयों का समाधान कर किसान उत्पादक संघ गठित करने के लिए प्रोत्साहित किया एवं नाबार्ड के द्वारा संचालित की जाने वाली कृषकों से संबंधित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। सेवानिवृत मुख्य प्रबन्धक बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक द्वारका प्रसाद काबरा ने बैंकिग, जमायें, ऋण लेने में आने वाली कठिनाईयों का समाधान करते हुए डिजिटल बैंकिंग व पशुपालन की राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के तहत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई है, के बारे में जानकारी दी।

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केन्द्र के वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता दीपक कुमार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन के अन्तर्गत पशुपालकों को आवेदन करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों, चरण तथा उसमें आने वाली परेशानियों के समाधान के बारे में जानकारी दी।

बकरी पालन प्रशिक्षण के समापन पर प्रशिक्षणार्थियों को डॉ. घनश्याम मीणा द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किये गये। प्रशिक्षण के दौरान उद्यान वैज्ञानिक इंदिरा यादव ने बकरियों के लिए चारे के लिए उपयोगी वृक्षों एवं झाड़ियों के उपयोग व लगाने के तरीके बताये। इस दौरान तकनीकी सहायक महेन्द्र चैधरी, विकास ताखर, लोकेश प्रजापत और रामप्रसाद ने सहयोग प्रदान किया।

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