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मंगलवार, जनवरी 14, 2025
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प्राकृतिक खेती में योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसानों को इस पोर्टल पर कराना होगा पंजीयन

प्राकृतिक खेती के लिए पोर्टल

आधुनिक कृषि पद्धति से वातावरण बदलाव, जंगल कटाव, आनुवांशिक, सिंचाई व प्रदूषण भूमि क्षरण जैसी गम्भीर समस्याएं पैदा हो रही हैं। इसके अलावा, रासायनिक खादों व कीटनाशकों के अत्याधिक इस्तेमाल से पानी व कृषि भूमि की मृदा शक्ति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। लगातार घटते प्राकृतिक संसाधनों को फिर से जीवंत करने और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने में प्राकृतिक खेती मददगार साबित हो सकती है। 

जिसको देखते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती को अधिक से अधिक बढ़ावा देने की पहल को आगे बढ़ाते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक पोर्टल का शुभारंभ किया।

किसानों को क्या मिलेगा लाभ

पोर्टल पर प्राकृतिक खेती अपनाने वाले इच्छुक किसान अपना पंजीकरण कर विभिन्न स्कीमों का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। राज्य प्राकृतिक खेती व टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इस दिशा में विभाग ने प्राकृतिक खेती पर एक व्यापक योजना तैयार की है। प्राकृतिक खेती के लिए पंजीकृत किसानों को इस सम्बन्ध में प्रशिक्षित व प्रोत्साहित किया जाएगा और योजना के तहत किसानों को उनके उत्पाद प्रमाणीकरण, विपणन व ब्रांडिग में सहायता दी जाएगी।

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किसानों को यहाँ कराना होगा पंजीयन

राज्य में प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को http://agriharyana.gov.in पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। पोर्टल पर पंजीयन होने के बाद ही किसानों को सरकार के द्वारा चल रही योजनाओं का लाभ दिया जायेगा। अधिक जानकारी के लिए किसान टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 पर कॉल कर सकते हैं।

देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही है यह योजना

केंद्र सरकार द्वारा देश में किसानों को जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना चलाई जा रही है। जिसके तहत 31,000 रुपए प्रति हेक्टेयर 3 वर्ष में वित्तीय सहायता जैसे कि बीज, जैव-उर्वरक, जैव-कीटनाशक, जैविक खाद, खाद/वर्मी कम्पोस्ट खाद के लिए प्रदान की जाती है। इसके अलावा, समूह/किसान उत्पादक संगठन (FPO) के गठन, प्रशिक्षण, प्रमाणीकरण, मूल्यवर्धन और जैविक उत्पादों के विपणन के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है।

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4 टिप्पणी

    • जी आप दी गई लिंक पर पंजीयन करें। या अपने यहाँ के नज़दीकी कृषि कार्यालय या ज़िला कृषि विज्ञान केंद्र में सम्पर्क करें।

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