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खेती में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने के लिए सभी ज़िलों में फसलों पर किया जा रहा है ड्रोन से यूरिया का छिड़काव

ड्रोन से किया जाएगा यूरिया का छिड़काव

कृषि क्षेत्र में लागत कम करने एवं किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कृषि की नई तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को नए-नए प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना की जा रही है, इसमें ड्रोन को भी शामिल किया गया है। खेती में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने एवं किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के लिए सजीव प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। 

इस कड़ी में कृषि विभाग राजस्थान द्वारा पूरे राज्य में 33 जिलों में एक साथ कृषि में ड्रोन के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए ड्रोन द्वारा नैनो यूरिया छिड़काव का सजीव प्रदर्शन 18 जनवरी को एक साथ किया गया। राज्य स्तर पर माननीय कृषि मंत्री महोदय श्री लालचन्द कटारिया द्वारा ड्रोन प्रदर्शन का शुभ-आरंभ किया गया। 

कस्टम हायरिंग केंद्रों पर उपलब्ध कराए जाएंगे 1500 ड्रोन

इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 2 वर्षों में 1500 ड्रोन कस्टम हायरिंग केंद्रों पर उपलब्ध कराए जाएँगे। जिसमें ड्रोन पर लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम 4 लाख रुपये के साथ ही किसानों के खेतों पर प्रदर्शन हेतु अधिकतम 6 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के ऐसे कृषक जो सीमित आय के कारण उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरणों को क्रय करने में सक्षम नहीं हैं उन्हें ड्रोन किराए पर उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे किसान कम लागत एवं कम समय में व्यापक कृषि क्षेत्र में रसायनों का छिड़काव कर सकेंगे।

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सभी ज़िलों में किया जा रहा है ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव

कृषि कार्यों में ड्रोन तकनीकी द्वारा फसलों में रसायनों के छिड़काव का सजीव प्रदर्शन की शुरुआत प्रदेश भर में की गयी, जिसमें किसानों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक जिले में कुल 20 हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रोन प्रदर्शन कर रसायनों का छिड़काव किया गया। प्रथम चरण में नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। जिससे यूरिया की कमी को पूरा किया जा सकेगा।

ड्रोन से छिड़काव करने पर होती है 80 प्रतिशत तक पानी की बचत

राजस्थान कृषि आयुक्त श्री कानाराम ने बताया कि पारंपरिक तरीके से छिड़काव के मुकाबले ड्रोन से छिड़काव में 70-80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। खड़ी फसल में पोषक तत्वों की कमी का निर्धारण एवं उनकी पूर्ति ड्रोन के माध्यम से आसानी से की जा सकती है। ड्रोन रसायन छिड़काव के साथ सिंचाई निगरानी, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, मर्दा विश्लेषण, फसल नुकसान का आकलन और टिड्डी नियंत्रण जैसे कार्यों को बेहतर ढंग से करने में उपयोगी हैं।

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