फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने बताया कि गन्ना किसानों को स्वस्थ एवं उपजाऊ मिट्टी में गन्ने की खेती कराना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी प्राथमिकता के क्रम में गन्ने के उत्पादन एवं गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए टिश्यू कल्चर, मृदा परीक्षण और जैव उर्वरक तकनीकी विधाओं को बढ़ावा देने के लिए चीनी मिल समूहों तथा क्षेत्रीय अधिकारी के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
इस बैठक में सभी चीनी मिलों को टिश्यू कल्चर, मृदा परीक्षण तथा जैव उर्वरक/ बायो पेस्टीसाइड तकनीकों को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं जिससे गन्ना किसानों को स्वस्थ, रोग रहित बीज प्राप्त हो सके। इसके साथ ही टिश्यू कल्चर का उपयोग कर नई किस्मों के गन्ना बीज का त्वरित उत्पादन किया जा सकता है।
किसानों को पता चलेगी मिट्टी की गुणवत्ता
गन्ना एवं चीनी विभाग के आयुक्त ने बताया कि प्रदेश के चीनी मिल समूह मिल क्षेत्र पर मृदा परीक्षण लैब की स्थापना करेगी और प्रत्येक किसान को सॉइल हेल्थ कार्ड वितरण करेंगी तथा मिल क्षेत्र का फर्टिलिटी मैप भी तैयार करेंगी। जिससे किसानों को अपनी मिट्टी की उर्वरता का पता चलेगा, तथा किसान खेतों में उचित उर्वरकों का प्रयोग कर गन्ने की पैदावार में अत्यधिक वृद्धि कर सकेंगे। इसके साथ ही उर्वरकों का दुरुपयोग रोकने से लागत में कमी लाई जा सकेगी।
आयुक्त ने परिक्षेत्रीय अधिकारियों, कार्मिकों, चीनी मिल समूहों को निर्देशित किया कि पर्यावरण सुरक्षा एवं टिकाऊ खेती के लिए रसायनों के स्थान पर जैव उर्वरकों और बायो पेस्टीसाइड के प्रयोग के लिए किसानों को प्रेरित करें। इसके लिए किसानों के हित में प्रदेश की प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र में जैव उर्वरक और बायो-पेस्टीसाइड लैब की स्थापना करने के निर्देश दिए हैं।