मिर्च का थ्रिप्स कीट से बचाव
दिसम्बर महीने में अभी उत्तरी भारतीय राज्यों में शीतलहर से जहाँ बहुत अधिक ठंड है वहीँ इस वर्ष दिसम्बर माह में सर्दी के साथ–साथ तेज धुप एवं कहीं-कहीं पिछले दिनों बारिश भी देखने को मिली है | मौसम में हो रहे इस उतार-चढ़ाव के चलते फसलों पर विभिन्न प्रकार के कीट एवं रोग लगने की सम्भावना रहती है | कीट-रोगों के प्रकोप की आशंकाओं को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने मिर्च की फसल में थ्रिप्स कीट के बचाव को लेकर सलाह जारी की है |
देश के कुछ राज्यों में मिर्च की फसल पर थ्रिप्स का प्रकोप देखा जा रहा है, इसका मुख्य कारण मौसम में हो रहा उतार-चढ़ाव है | समय रहते इस कीट की रोकथाम करना जरुरी है, अन्यथा इसका प्रकोप तेजी से अन्य फसलों पर बढने कि उम्मीद है |
थ्रिप्स कीट कि पहचान कैसे करें ?
इस कीट की रोकथाम के लिए पहले कीट की पहचान करना जरुरी है | थ्रिप्स कीट लगभग एक मिलीमीटर लंबे होते हैं | मादा कीट भूरे सिर वाले तथा नर कीट पीले रंग के होते हैं | थ्रिप्स कीट अपने अंडे पत्ती के उत्तकों के अंदर देते हैं | इन कीटों का जीवन काल लगभग दो सप्ताह का होता है | ये कीट पौधों की पत्तियों की उपरी सतह को खुरच कर इनका रस चूस लेते हैं जिससे भूरे या काले रंग के हो जाते हैं और फूल भी बदरंग हो जाते हैं |
इस तरह करें मिर्च का थ्रिप्स कीट से बचाव
मिर्च में लगने वाले थ्रिप्स की रोक थाम रासायनिक दवा का छिडकाव से भी कर सकते है | इसके लिए इमिडौक्लोप्रिड को पानी की उचित मात्रा में मिलाकर छिड़काव से भी फसलों को कीटों के प्रकोप से बचाया जा सकता है। किसान प्रति हेक्टेयर एसीफेट की 790 ग्राम को 500 ली. पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं या एमोमेक्टिन बेंजोएट की 375 ग्राम मात्रा को 500 ली. पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर फसलों को कीटों के प्रकोप से बचा सकते हैं।
इसके अलावा किसानों को खेत में फसल चक्र अपनाना चाहिए तथा खरपतवारों को समय–समय पर नष्ट करना चाहिए | किसान संतुलित उर्वरकों का उपयोग कर तथा पौधों के प्रभावित भागों को नष्ट करके अपने फसलों को कीट के प्रकोप से बचा सकते हैं | किसान अपने फसलों को थ्रिप्स कीट से बचाने तथा उचित प्रबंधन तकनीकी के संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क कर सकते हैं |