फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए विभिन्न फसलों की नई उन्नत किस्में तैयार की जा रही हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त ने 11 फरवरी के दिन हुई “बीज गन्ना एवं गन्ना किस्म स्वीकृति उप समिति” की बैठक में गन्ने की नई किस्मों को किसानों के लिए जारी किया। बैठक में नई गन्ना किस्मों के अवमुक्त करने पर चर्चा हुई तथा बैठक में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के किसान एवं चीनी मिल प्रतिनिधि प्रस्तुत हुए।
बैठक में गन्ना किस्म को.से. 17451 को पूर्वी उत्तर प्रदेश में, को.शा. 19231 को सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में अगेती खेती के लिए एवं को.लख. 16470 (मध्य-देर) को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए जारी किया गया। बैठक में इन किस्मों की उत्पादकता और शर्करा के आंकड़े भी जारी किए गए।
गन्ना किस्म को.शा. 19231 की उत्पादन क्षमता
उत्तर प्रदेश गन्ना किस्म को.शा. 19231 एवं को.से. 17451 के उपज एवं गन्ने में शर्करा के आंकड़े प्रस्तुत किए गए। नई गन्ना किस्म को.शा. 19231 पूर्व में प्रचलित गन्ना किस्म को.से. 95422 के पॉलीक्रॉस द्वारा शाहजहांपुर संस्थान पर विकसित की गई है। आंकड़ों के अनुसार पौधा ज्ञान की औसत उपज 92.05 टन प्रति हेक्टेयर पायी गई है। जनवरी महीने में रस में शर्करा 17.85 प्रतिशत एवं गन्ने में शर्करा 13.20 प्रतिशत पाई गई है। वहीं प्रति हेक्टेयर चीनी का अनुमानित उत्पादन 12.23 टन प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया है। को.शा. 19231 गन्ना किस्म को काकोरी कांड के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में शहीद राजेंद्र नाथ लाहिड़ी के नाम पर इस किस्म को “लाहिड़ी” नाम दिया गया है।
गन्ना किस्म को.से. 17451 की उत्पादन क्षमता
गन्ना किस्म को.से. 17451 पुरानी गन्ना किस्म बि.उ. 120 जी.सी. द्वारा सेवरही संस्थान पर विकसित की गई है। आंकड़ों के अनुसार पौधा गन्ना की औसत उपज 87.96 टन प्रति हेक्टेयर है। वहीं जनवरी महीने में रस में शर्करा 16.63 प्रतिशत एवं गन्ने में शर्करा 12.82 प्रतिशत, नवंबर एवं जनवरी महीने में क्रमशः 17.82 एवं 13.73 प्रतिशत शर्करा पायी गई है तथा प्रति हेक्टेयर चीनी का अनुमानित उत्पादन 10.81 टन प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया है। गन्ना किस्म को.से. 17451 को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डॉ कृष्णानंद के सड़क दुर्घटना में असामयिक निधन के कारण उनके नाम पर इस किस्म को “कृष्णा” नाम दिया गया है।
यह दोनों अगेती गन्ना किस्मों का गन्ना मध्यम मोटा, ठोस, पोरी लंबी होती है। को.शा. 19231 में गूदे के मध्य बारीक छिद्र तथा अगोला पर हल्के रोयें पाये जाते हैं। यह लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम रोगरोधी है।
गन्ना किस्म 0238 से बेहतर हैं यह दोनों किस्में
परीक्षण आंकड़ों के अनुसार बहुप्रचलित गन्ना किस्म को 0238 की औसत उपज 82.97 टन प्रति हेक्टेयर पायी गई तथा नवम्बर, जनवरी एवं मार्च में रस में शर्करा 16.01, 17.88 व 19.19 प्रतिशत एवं माह नवंबर, जनवरी व मार्च में शर्करा क्रमशः 11.69. 13.09 व 14.21 प्रतिशत पायी गई है। वहीं प्रति हेक्टेयर चीनी का अनुमानित उत्पादन 10.89 टन प्रति हेक्टेयर है। इस प्रकार नवीन प्रस्तावित दोनों नई अगेती किस्मों को.शा. 19231 एवं को.से. 17451 गन्ना किस्म को 0238 व को.लख. 94184 से उपज एवं चीनी आंकड़ो में बेहतर पायी गई है।
गन्ना किस्म को.लख. 16470
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा विकसित एवं भारत सरकार द्वारा नोटिफाइड गन्ना किस्म को.लख. 16470 मध्य देर से पकने वाली गन्ना किस्म है। इसकी औसत उपज 82.50 टन प्रति हेक्टेयर है एवं 12 माह पर रस में शर्करा 17.37 प्रतिशत पायी गई है तथा गन्ने में शर्करा 13.20 प्रतिशत है।
इन क्षेत्रों में खेती के लिए किया गया है अनुमोदित
गन्ना शोध परिषद द्वारा नई विकसित अगेती गन्ना किस्मों कोशा 19231 को सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के लिए एवं कोसे 17451 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अवमुक्त किए जाने का निर्णय लिया गया है। तथा मध्य-देर की क़िस्म को.लख. 16470 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अनुमोदित किया गया है। इसके अलावा पहले स्वीकृत की गई गन्ना किस्मों को. 12029, को.शा. 99259 एवं को.शा. 96268 को नगण्य क्षेत्रफल एवं अलोकप्रिय होने के कारण स्वीकृत गन्ना किस्मों की सूची से विलोपित किया गया है।