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विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई गेहूं की सबसे अधिक उपज देने वाली किस्में, किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि विभाग एवं कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा समय-समय पर विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में गेहूं एवं जौ अनुभाग, आनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग द्वारा किसानों की उपज बढ़ाने के लिए “गेहूं एवं जौ की उन्नत तकनीक विषय पर अनुसूचित जाति के किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. काम्बोज ने अपने संबोधन में कहा कि किसान नवीनतम तकनीकों एवं संसाधनों का उपयोग जरूर करें। उन्नत किस्मों के बीज का चयन, मृदा परीक्षण, सिंचाई प्रबंधन, जैविक एवं रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग तथा कीट एवं रोग नियंत्रण जैसी नवीनतम तकनीक अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

विश्वविद्यालय ने विकसित की गेहूं की सर्वाधिक उपज देने वाली किस्में

कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना से लेकर अब तक गेहूं की अधिक उत्पादन देने वाली गेहूं की उन्नत किस्में लगातार वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा पिछले वर्ष के दौरान विकसित की गई 1402 और 1270 देश में सर्वाधिक गेहूं का उत्पादन देने वाली किस्में हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित गेहूँ की उन्नत किस्में देश भर में लोकप्रिय है।

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किसानों दिए गए स्प्रे पम्प और प्रमाण पत्र,

कुलपति ने कहा कि जौ हरियाणा की एक महत्वपूर्ण रबी फसल है। जौ का उत्पादन शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में किया जाता है। कम संसाधनों वाले किसानों को पारंपरिक फसलों पर निर्भर ना रहने के बजाय सब्जियों, फलों और औषधीय पौधों की खेती अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ानी चाहिए। खेती पर बढ़ती लागत और कम हो रही जोत के दृष्टिगत उपरोक्त फसलें कारगर सिद्ध हो सकती हैं। प्रदेश में जौ का उत्पादन बढ़ाने तथा किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को बैटरी ऑपरेटेड स्प्रे पम्प व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

वहीं कुलसचिव डॉ. पवन कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई गेहूं की उन्नत किस्में देश के खाद्यान्न भंडारण में इजाफा करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने कहा कि किसानों को प्रशिक्षण देने से खाद्य उत्पादन में और अधिक बढ़ोतरी होगी तथा किसान नवीनतम कृषि तकनीकों का उपयोग करके कम लागत में अधिक पैदावार ले सकेंगे। उन्होंने विश्व विद्यालय द्वारा गेहूं की विकसित की गई उन्नत किस्मों एवं अनुसंधान कार्यक्रमों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।

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2 टिप्पणी

    • सर गेहूँ के उन्नत बीज लेने के लिए आप अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में या ब्लॉक या जिले के कृषि विभाग में अथवा बीज निगम में संपर्क करें। इसके अलावा गेहूँ की बुआई के समय भी विश्व विद्यालय द्वारा बीज उपलब्ध कराए जाते हैं।

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