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सोमवार, अप्रैल 21, 2025
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सरकार ने शुरू किया कृषक कल्याण मिशन, किसानों को मिलेगा इन योजनाओं का लाभ

मंत्री परिषद ने कृषक कल्याण मिशन को मंजूरी दे दी है। मिशन के तहत कृषि विकास विभाग, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग, मत्स्य पालन विभाग, पशु पालन एवं डेयरी विभाग, सहकारिता विभाग, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सभी योजनाओं को एक प्लेटफार्म पर लाया जाएगा।

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ ही कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार राज्य में कृषक कल्याण मिशन की शुरुआत करने जा रही है। 15 अप्रैल के दिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्री परिषद की बैठक में कृषक कल्याण मिशन को प्रारंभ करने की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। प्रदेश के किसानों के समन्वित विकास के लिए किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग, मत्स्य पालन विभाग, पशु पालन एवं डेयरी विभाग, सहकारिता विभाग, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग में प्रचलित योजनाओं को एक मंच पर लाकर मध्यप्रदेश किसान कल्याण मिशन को प्रारंभ किया जाएगा।

मध्य प्रदेश कृषक कल्याण मिशन का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि, कृषि को जलवायु-अनुकूल बनाना, धारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाना, जैव विविधता और परम्परागत कृषि ज्ञान संरक्षण, पोषण एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, किसानों की उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना है।

किसानों की आय में वृद्धि के लिए किए जाएँगे यह काम

कृषक कल्याण मिशन के तहत किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए सरकार कृषि तथा उद्यानिकी के अंतर्गत फसलों की उत्पादकता में वृद्धि करने, उच्च मूल्य फसलों की खेती को बढ़ावा देने, गुणवत्तापूर्ण आदानों की उपलब्धता जैसे बीज, रोपण सामग्री, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि विस्तार एवं क्षमता विकास पर ज़ोर दिया जाएगा। इसके अलावा किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर आसानी से ऋण उपलब्ध कराना, खाद्य प्र-संस्करण और कृषि आधारित उद्योग, वैल्यू-चैन विकास और मौजूदा वैल्यू-चैन का सुदृढ़ीकरण, मप्र की विशिष्ट समस्याओं के लिए अनुसंधान एवं विकास किया जाएगा।

इसके अलावा किसानों को कृषि तथा उद्यानिकी सस्टेनेबल कृषि पद्धतियां के अंतर्गत गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस (जीएपी) को अपनाने के लिए प्रेरित करना, जैविक और प्राकृतिक खेती क्षेत्र में बढ़ोतरी, जैविक एवं प्राकृतिक उत्पादों के लिए मार्केट लिंकेज का निर्माण तथा सुदृढ़ीकरण, जैविक एवं प्राकृतिक उत्पाद हेतु प्रमाण पत्र जारी करने तथा ट्रैसेबिलिटी सिस्टम को विकसित करना, किसानों की उपज के उचित मूल्य सुनिश्चित करना, मंडियों का आधुनिकीकरण एवं उन्नयन, मंडी कार्यों के प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, मण्डी में पारदर्शी तथा निष्पक्ष नीलामी की प्रक्रिया को सुदृढ़ एवं मंडी के बाहर उपज बेचने की सुविधा को विकसित करना, जिन फसलों में वायदा अनुबंधों की अनुमति है, उनकी कार्य योजना तैयार करना है।

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पशुपालन, मछली पालन और सहकारिता को दिया जाएगा बढ़ावा

कृषक कल्याण मिशन के तहत किसानों की आय में वृद्धि के लिए सहकारिता एवं मत्स्य पालन के अंतर्गत सहकारिता के माध्यम से दूध संकलन के कवरेज को 26000 ग्रामों तक ले जाया जायेगा। दूध संकलन व प्र-संस्करण की वर्तमान क्षमता को बढ़ाकर 50 लाख लीटर प्रति दिन किया जायेगा। पशुओं में स्टॉल फीडिंग एवं मिनरल मिक्चर का घरेलू विकल्प का उपयोग से निराश्रित गौवंश की संख्या में कमी लाई जाएगी। मत्स्य पालन क्षेत्र में आय वृद्धि के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग – Cage Farming तथा Biofloc, मछुआ/किसान क्रेडिट कार्ड योजनान्तर्गत शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराकर स्व-रोजगार को बढ़ावा दिया जायेगा।

मिशन के अन्य घटक में कृषि का जलवायु-अनुकूलन तथा रिस्क मिटिगेशन, जलवायु अनुकूल किस्मों को विकसित करवाना, कृषि फसलों के साथ ही पशुपालन, मत्स्योत्पादन को अपनाना, जैव विविधता और परम्परागत कृषि ज्ञान संरक्षण, पारंपरिक कृषि पद्धतियों का दस्तावेज़ीकरण, संरक्षण और उपयोग शामिल है।

कृषि यंत्रीकरण को किया जाएगा डेढ़ गुना

कृषक कल्याण मिशन के अपेक्षित परिणाम में उद्यानिकी फसलों का सकल वर्धित मूल्य कृषि आधारित फसलों से अधिक किया जायेगा। उद्यानिकी फसलों का क्षेत्रफल राष्ट्रीय औसत के बराबर लाया जायेगा। कृषि यंत्रीकरण को डेढ़ गुना किया जाएगा। कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश को 75 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा, प्रदेश को नरवाई जलाने से मुक्त करना, जैविक, प्राकृतिक, गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस कृषि के अंतर्गत संपूर्ण बोये गये क्षेत्र का 10 प्रतिशत हिस्सा एवं सूक्ष्म सिंचाई को 20 प्रतिशत क्षेत्रफल तक पहुंचाया जाएगा।

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पशुधन उत्पादकता में की जाएगी 50 प्रतिशत की वृद्धि

मिशन के तहत फसल बीमा का कवरेज 50 प्रतिशत तक किया जाएगा। संकर तथा उन्नत बीजों का विस्तार आधे क्षेत्रफल तक करना, प्रदेश के अन्नदाता को ऊर्जादाता सौर ऊर्जा पम्प अनुदान पर उपलब्ध कराये जाना, नये प्र-संस्करण क्षेत्रों की स्थापना, विपणन नेटवर्क का विस्तार और प्रदेश की बाहर की मंडियों तक पहुंच बढ़ाना, मत्स्य बीज के मामलें में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना, कोल्ड चेन और नेटवर्क विकास के जरिये किसानों को मत्स्य संपदा के लिए मिलने वाले मूल्य को डेढ़ गुना करना, उच्च उत्पादकता मछली का पालन 10,288 मीट्रिक टन किया जाना, मत्स्य पालन के लिए 1.47 लाख किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाएँगे।

संगठित क्षेत्र में दुग्ध संकलन को 50 लाख लीटर प्रतिदिन किया जायेगा। पशुधन उत्पादकता में 50 प्रतिशत की वृद्धि की जायेगी। बेसहारा गौ-वंश की देखभाल के लिए प्रदेशव्यापी नेटवर्क तैयार करना, जिससे सड़कों पर उनकी उपस्थिति शून्य हो सकेगी।

मध्यप्रदेश कृषक कल्याण मिशन की साधारण सभा के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। मिशन क्रियान्वयन की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। मिशन क्रियान्वयन जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में किया जायेगा।

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