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बैंगन की सबसे लम्बी किस्म निरंजन विकसित करने वाले किसान को दिया गया पुरस्कार

बैंगन की सबसे लंबी किस्म निरंजन

कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों एवं नवाचार करने वाले प्रगतिशील किसानों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जाता है जिससे अन्य किसानों को भी कृषि में कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहन मिल सके | इसी क्रम में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बैंगन की नई किस्म ईजाद करने वाले किसान श्री लीलाराम साहू को सम्मानित किया गया | बैंगन की इस किस्म का नाम निरंजन बैंगन दिया गया है। इसकी खासियत यह है कि देश मे उत्पादित विभिन्न प्रजातियों के बैंगन में से इसकी लंबाई सर्वाधिक हैं। इसकी लंबाई अधिकत्म दो फीट तक हो सकती है।

धमतरी जिले के कुरूद निवासी श्री लीलाराम को उसकी इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा राज्य स्तरीय कृषक सम्मान से सम्मानित किया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के द्वारा श्री साहू को उनके ‘निरंजन‘ बैंगन के उत्पाद के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है।

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क्या है निरंजन बैंगन की खासियत

श्री लीलाराम ने उत्कृष्ट सब्जीवर्गीय उत्पादन के क्षेत्र में कई नवाचार किए हैं, इनमें से एक निरंजन बैंगन है। इसमें बीज की मात्रा कम और पल्प अधिक होता है, जिसके कारण यह बेहद स्वादिष्ट होता है।  इसकी खासियत यह है कि देश मे उत्पादित विभिन्न प्रजातियों के बैंगन में से इसकी लंबाई सबसे अधिक हैं। इसकी लंबाई अधिकत्म दो फीट तक हो सकती है। उन्होंने बताया कि इस बैंगन का नाम निरंजन उन्होंने अपनेपिताजी के नाम पर किया है।

किस तरह विकसित की गई बैंगन की नई किस्म

सब्जी उत्पादक कृषक श्री लीलाराम साहू ने बताया कि इसे तैयार करने के लिए उन्होंने पारम्परिक रूप से देशी सिंघी भटा के बीज तैयार करने के लिए शुद्ध घी 100 ग्राम, शहद 200 ग्राम, बरगद के पेड़ की जड़ के पास की मिट्टी 500 ग्राम, गोमूत्र 2400 ग्राम, गोबर 1200 ग्राम में आवश्यक पोषक तत्व मिलाया जाता है। उपचारित बीज का प्रसंस्करण किया गया। इसके बाद बीजों में अंकुरण ज्यादा लाने, निरोग बनाए रखने, फल की लम्बाई में वृद्धि करने व गुदा की मात्रा बढ़ाने और स्वाद में बढ़ोतरी करने का कार्य भी किया गया। परिणामस्वरूप नवाचारी गुण से परिपूर्ण बैंगन की नई किस्म विकसित हुई।

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यहाँ की जा रही है बैंगन के निरंजन किस्म की खेती

निरंजन बैंगन की खेती छत्तीसगढ़ के अलावा मणिपुर, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, गुजरात, महाराष्ट्र सहित केरल राज्य में भी की जाती है। बैंगन की उक्त प्रजाति के लिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तक संस्थान अहमदाबाद के द्वारा डॉक्यूमेंटेशन के उपरांत साल-2017 में पेटेंट भी किया गया था। उक्त नवाचारी बैंगन के बीज को उनके द्वारा धमतरी सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के प्रगतिशील किसानों को हर साल निःशुल्क वितरण किया जाता है।

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