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रविवार, मई 18, 2025
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सेम ग्रस्त भूमि को बनाया जाएगा उपजाऊ, कृषि मंत्री ने दिए सर्वे निर्देश

कृषि मंत्री ने सेमग्रस्त भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए अधिकारियों को सर्वे करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने किसानों को सेम ग्रस्त जमीन से निकले लवणीय पानी का उपयोग मछली पालन और झींगा पालन करने के लिए सलाह दी है।

किसान सेम ग्रस्त या लवणीय भूमि से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरकार द्वारा सेम ग्रस्त या खारे पानी वाले क्षेत्रों में मछली पालन और झींगा पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में हरियाणा के कृषि, किसान कल्याण, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि सरकार सेम ग्रस्त जमीन को दोबारा उपजाऊ बनाने के लिए गंभीरता के साथ प्रयासरत है और अनुदान आधारित योजनाएं बनाकर लागू कर रही है।

कृषि मंत्री ने 16 अप्रैल को झज्जर जिले में खेती किसानी से जुड़े विभागीय अधिकारी, जागरूक किसानों व मत्स्य पालकों की साझा बैठक आयोजित कर अधिकारियों को झज्जर जिले में सेम ग्रस्त जमीन का सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि झज्जर जिला में एक लाख 86 हजार 925 एकड़ भूमि सेम ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कम से कम दस हजार एकड़ भूमि को सेम ग्रस्त से मुक्त करने का लक्ष्य पूरा करें।

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सेम ग्रस्त भूमि में किसान करें झींगा और मछली का पालन

कृषि मंत्री ने कहा कि सेम ग्रस्त जमीन से निकले लवणीय पानी को मछली पालन के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। इससे किसानों को दोहरा लाभ होगा। जहां पर सेम ग्रस्त भूमि है, उसके पास ही तालाब खोदकर मत्स्य पालन शुरू किया जा सकता है। झींगा मछली के लिए लवणीय पानी सबसे बेहतर माना गया है। इसके लिए सरकार की ओर से अनुदान आधारित योजनाएं बनाकर लागू की गई हैं। मंत्री को बताया गया कि बाकरा गांव के एक किसान ने इस पर प्रोजेक्ट कार्य शुरू किया है। कृषि मंत्री ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में किसान की पूरी मदद करें और मैं स्वयं अगली विजिट के दौरान इस प्रोजेक्ट का अवलोकन करूंगा।

मत्स्य पालन मंत्री ने बताया कि मत्स्य पालकों के हित के लिए सरकार मोबाइल वाटर टेस्टिंग लैब की सुविधा शुरू करने जा रही है। अनुदान आधारित योजनाओं की सीमा और दायरा बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। सरकार का प्रयास है कि किसानों की आय में वृद्धि हो, रासायनिक खेती की बजाय जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिले। ज्यादा से ज्यादा पशु धन का बीमा हो।

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