धान में दीमक एवं अन्य कीट पर नियंत्रण कैसे करें
धान की फसल में बारिश कम होने की स्थिति में दीमक एवं अन्य कीट का प्रकोप बढ़ जाता है,ऐसे खेतों में जहां पर्याप्त मात्रा में नमी (पानी की कमी) होती हैं, वहां पर धान के कीट जैसे तना छेदक, दीमक आदि का प्रकोप बढ़ जाता हैं। यदि आपके खेत में दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो यह जरुरी हैं की आप फसलों में सिंचाई करें ताकि नमी बनी रहे | यदि दीमक का प्रकोप बहुत अधिक हो दवाइयों का प्रकोप कर उनका नियंत्रण करें |
दीमक
दीमक का प्रकोप खेत में अधिक हो तो कीटनाशक औषधी क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. का 5 लीटर प्रति हेक्टर की दर से बालू में मिश्रित कर छिड़काव करें । धान में तना छेदक की शिकायत दिखाई देने पर तत्काल प्रभावित पौधों को उखाड़ कर भूमि में दबाकर या खेत से दूर ले जाकर नष्ट कर देना चाहिए।
तना छेदक
तना छेदक के भौतिक नियंत्रण हेतु 25 मीटर के अंतराल में पौधों से 30 से.मी. की ऊंचाई पर फेरोमेन ट्रेप लगाये, जिसमें 3 मिलीग्राम केल्यूर को 20 से 25 दिन के अंतराल में बदलते रहे। धान फसल की प्रारंम्भिक अवस्था होने के कारण कीट के नियंत्रण हेतु फिप्रोनिल 0.03 जी 25 किग्रा.हेक्टर या करटॉप हाइड्राक्लोराइड 4 जी 20 किग्राहेक्टर की दर से बुरकाव करें। यदि फसल के 45-50 दिन की अवस्था में कीट का प्रभाव आर्थिक हानि स्तर 5-8 मृत कंसे या एक अण्डा समूह प्रत्येक वर्ग मीटर में प्रदर्शित हो तो फ्लूबेन्डामाईड 450 एस.सी. के 70 मिली. प्रति हेक्टर या फिप्रोनिल 5 एस.सी. 1 लीटर प्रति हेक्टर या करटॉप हाइड्राक्लोराइड 20 ई.सी. 2.5 लीटर प्रति हेक्टर या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. 1.5 लीटर प्रति हेक्टर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
झुलसा रोग
यदि धान में झुलसा रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो ट्राईसाइक्लोजोल 300 ग्रामहेक्टर की दर से छिड़काव करें। धान के खेत सुखे होने की स्थिति में कटुवा इल्ली का प्रकोप हो सकता है, जिसके नियंत्रण हेतु डाईक्लोरोवॉस 1 मिली.लीटर की दर से 500 लीटर पानी में घोल तैयार कर प्रति हेक्टर छिड़काव करें।