आज के समय में गर्मी के सीजन में किसानों के द्वारा तरबूज और खरबूजे की खेती बड़े पैमाने पर की जाने लगी है। ऐसे में जो किसान इस वर्ष गेहूं एवं अन्य रबी फसलों की कटाई के बाद तरबूज और खरबूजे की खेती करना चाहते हैं वे इसकी बुआई और रोपाई अभी कर सकते हैं। तरबूज और खरबूज की खेती के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त रहती है। किसान उन्नत तकनीक का प्रयोग कर तरबूज और खरबूजे की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार वैसे तो खरबूजा और तरबूज की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन दोमट और रेतीली मिट्टी इसकी खेती के लिए अधिक उपयुक्त होती है। तरबूज और खरबूजे की रोपाई के लिए 2 से 3 बार कल्टीवेटर से खेत की जुताई करें, उसके बाद पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरी बना लें। अंतिम जुताई के समय 200 से 250 क्विंटल की दर से सड़ी हुई गोबर खाद को मिट्टी में अच्छे से मिलाएं।
तरबूज की उन्नत किस्में
किसान तरबूज की खेती के लिए उन्नत किस्में जैसे अर्का ज्योति, अर्का आकाश, अर्का ऐश्वर्य, अर्का मधु, शुगर बेबी, अर्का मानिक, असायी यामातो, स्पेशल-1, उन्नत शिपर, दुर्गपुरा मीठा, दुर्गापुरा लाल आदि किस्मों का चुनाव कर सकते हैं। किसान इसकी बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 3.5 से 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक के बीज का इस्तेमाल करें।
खरबूजे की उन्नत किस्में
किसान खरबूजे की खेती के लिए उन्नत किस्में जैसे पूसा रसराज, पूसा मधुरस, पूसा सरदा, पूसा शरबती, पूसा मधुरिमा, अर्का जीत और अर्का राजहंस आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं। किसान खरबूजे की बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 4 से 6 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर बीज का इस्तेमाल करें।
तरबूज और खरबूजे की बुआई एवं रोपाई
बुआई से पहले किसान बीजों का बीजोपचार अवश्य करें ताकि कीट एवं रोगों के प्रकोपों को कम किया जा सके। इसके लिए बीज को कॉर्बेंडाज़िम + मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बुआई या रोपाई दोनों के लिए थाला विधि उपयुक्त रहती है। इसमें पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर 45 से 60 सेमी चौड़ी और 30 से 40 सेमी गहरी नालियाँ बनायें। नालियों के बीच की दूरी 2 से 2.5 फीट रखें। प्रत्येक नाली के किसी एक किनारे पर 50 से 60 सेमी की दूरी पर थाला बनाकर एक ही जगह पर 2 से 3 बीजों को 1 से 2 सेमी की गहराई पर बोयें या तैयार पौध को थाले में रोपें।
तरबूज और खरबूजे में कितना खाद डालें
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार खरबूजे के लिए प्रति हेक्टेयर 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 75 किलोग्राम फास्फोरस एवं 50 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। इसमें नाइट्रोजन की आधी और फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा को बुवाई या रोपाई के समय दें। नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा को 30 से 40 दिन बाद दें। वहीं तरबूज के लिए प्रति हेक्टेयर 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 60 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। इसमें नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा, फॉस्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा को बुवाई या रोपाई के समय दें। नाइट्रोजन की शेष एक तिहाई मात्रा को 25- 30 दिन बाद एवं शेष एक तिहाई मात्रा को 40 से 45 दिन बाद दें।
खरबूजे और तरबूज की फसल में मिट्टी व ज़रूरत के अनुसार 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है। फसल की अच्छी बढ़वार के लिए जल विलेयक उर्वरक एनपीके 18:18:18 मात्रा की 1 किलोग्राम को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। ड्रिप सिंचाई के जरिए 3 से 4 किग्रा मात्रा का उपयोग करें।