गर्मी में पशुओं का लू से बचाव
उत्तर भारत के सभी राज्यों में दिन का तापमान 40 डिग्री सेन्टीग्रेट से ज्यादा जा चूका है | जिसके कारण दिन में तेज धूप के साथ लू भी चल रही है | यह लू इंसान के साथ ही साथ पशुओं के लिए भी काफी नुकसान देय है | ऐसे में पशुओं को लू लगने एवं उनके बीमार होने की संभवना बनी रहती है तथा निम्नलिखित बीमारियाँ हो सकती है |
- पशुओं को आहार लेने में अरुचि
- तेज बुखार, हाफना
- नाक से स्राव बहना
- आँखों से आसूं गिरना
- आखों का लाल होना
- पतला दस्त होना
- शारीर में पानी की अत्यधिक कमी होने से लड़खडाकर गिरना आदि
यह सभी लू लगने के प्रमुख लक्षण हैं | इसलिए गर्मी में लू से बचाव तथा देखभाल के लिए समुचित व्यवस्था करनी चाहिए |
लू से बचाने के लिए क्या उपाय करें ?
- पशुओं को सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक कोठे में रखे | कोठे को खुला न रखकर टाट आदि से ढक कर रखे |
- गर्म हवाओं के थपेड़ों से बचाने के लिए टाट में पानी छिड़काव कर वातावरण को ठंडा बनाए रखे |
- पशुओं को पर्याप्त मात्रा में आहार तथा पिने के लिए हमेशा ठंडा व स्वच्छ पानी दें |
- पशुओं को ठोस आहार न देकर तरल युक्त आहार खिलाएं |
- विवाह तथा अन्य आयोजनों से बचे हुये बासी भोज्य पदार्थ पशुओं को न खिलाए |
- कोठे की नियमित साफ – सफाई करें |
- नवजात बछड़ों – बछियों की विशेष देखभाल करें |
- संकर नस्ल तथा भैसवंशी पशुओं पशुओं को पानी की उपलब्धता के आधार पर कम से कम दिन में एक बार आवश्य नहलाना चाहिए | यदि पशु असमान्य दिखे तो तुरन्त निकट के पशु चिकित्सा संस्थान के अधिकारी व कर्मचारी को सूचित कर तत्काल उपचार करना चाहिए |