22 लाख किसानों को हुआ 9 हजार 600 करोड़ रूपये नुकसान
वर्ष 2019 का मानसून किसानों के लिए मुसीबत बन गया हैं इस वर्ष कई राज्यों में तो बहुत अधिक बारिश-बाढ़ से फसलों एवं जानवरों की हानि हुई है वहीँ कई राज्यों के किसान अभी भी अच्छी बारिश का इन्तजार कर रहें हैं | कई जिले ऐसे हैं जहाँ सूखे की स्थिति बनी हुई है | वही मध्यप्रदेश राज्य में कई जिलों में बाढ़ के कारण फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है | मध्य प्रदेश के 52 में से 36 जिलों में क्षति बहुत अधिक हुई है। राहत पहुँचाने, आगामी रबी फसल के संधारण और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए केन्द्रीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है।
कब तक किया जाएगा सर्वेक्षण
मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव ने केंद्र सरकार की और से आये हुए दल को वर्षा ऋतु में अति-वृष्टि और बाढ़ से प्रदेश में अब तक हुई क्षति की जानकारी दी उन्होंने कहा कि वर्षा अभी भी जारी है इसलिए सभी विभागों से जानकारी प्राप्त होने तथा मानसून समाप्ति के बाद क्षति की जानकारी अंतिम रूप से प्रस्तुत की जा सकेगी।
श्री रस्तोगी ने बताया कि जनहानि और पशुधन की हानि के मामलों में तत्काल राहत उपलब्ध कराई गई है। एसडीआरएफ के अंर्तगत अब तक 125 करोड़ रूपये की राहत प्रदान की जा चुकी है। फसलों को हुए नुकसान का सर्वेक्षण 24 सितम्बर तक पूर्ण होगा। तत्पश्चात 27 सितम्बर तक सहायता के लिए अंतिम रूप से मांग प्रस्तुत की जा सकेगी। राज्य सरकार ने छोटी अवधि के कृषि ऋण को मध्यम अवधि ऋण में बदलने की मांग भी रखी।
मध्यप्रदेश में अधिक बारिश से कुल हुआ नुकसान ?
राज्य में 18 सितम्बर तक 1203.5 एम.एम. वर्षा हुई, जो सामान्य से 37 प्रतिशत अधिक है। लगभग 24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 22 लाख किसानों की 9 हजार 600 करोड़ रूपये की खरीफ फसल प्रभावित हुई है। प्रदेश में मकानों को हुई क्षति लगभग 540 करोड़ है। इसी क्रम में सड़कों की क्षति का अनुमान 1566 करोड़ रूपये और लगभग 200 करोड़ रूपये का अन्य नुकसान भी हुआ है। केन्द्रीय दल को अवगत कराया गया कि प्रदेश को अब तक 11 हजार 906 करोड़ रूपये की क्षति हुई है। प्रदेश में बाढ़ और आकाशीय बिजली से 225 लोगों की मृत्यु हुई और लगभग 1400 से अधिक जानवरों की मौत हुई।
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