किसानों को फसलों में लगने वाले कीट-रोगों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार खेत में खड़ी खरीफ फसलों का सर्वे किया जा रहा है। इस कड़ी में कृषि विभाग के द्वारा गठित सर्वे दल के सदस्यों ने अजमेर जिले के बासेली, तिलोरा, होकरा, माकड़वाली, कायड़, गगवाना व गेगल आदि क्षेत्रों में बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंग व मिर्च आदि फसलों को कीट-व्याधि प्रकोप से बचाने व किसानों को नियंत्रण के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए सघनता से रैपिड रोविंग सर्वे किया गया।
संयुक्त निदेशक शंकर लाल मीणा ने बताया कि सर्वे के दौरान बाजरा व ज्वार में फड़का कीट, बाजरा में ब्लास्ट रोग, मक्का में एफिड़ व फाल आर्मी वर्म कीट, मूंग में सफेद मक्खी व जीवाणु जनित चित्ती रोग एवं मिर्च में पर्ण कुंचन रोग व सफेद मक्खी कीट आदि का प्रकोप पाया गया। इस दौरान अधिकारियों ने किसानों को विभागीय सिफारिश अनुसार कीट-व्याधि प्रकोप से बचाव के लिए विभिन्न सलाह दी।
ज्वार, बाजरा में कीट-रोग से बचाव के लिए क्या करें
सर्वे दल ने किसानों को सलाह दी कि बाजरा व ज्वार में फड़का नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें। वहीं ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजॉल 25 ई.सी. अथवा ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत और टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत (75 डब्ल्यूजी) कवकनाशी का 0.05 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें व 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव दोहराएँ।
मक्का और मूंग में कीट-रोग से बचाव के लिए क्या करें
संयुक्त निदेशक ने बताया कि मक्का में फाल आर्मी वर्म कीट के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एस.जी. 6 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर पोटों में डालें एवं एफिड के नियंत्रण के लिए एक लीटर मिथाइल डिमेटोन 25 ई.सी. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। मूंग में सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए एक लीटर डायमिथेएट 30 ई.सी. कीटनाशी का प्रति हेक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। जीवाणु जनित चित्ती रोग के नियंत्राण के लिए एक ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन एवं 20 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड दवा का 10 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें व आवश्यकतानुसार छिड़काव दोहरावें।
वहीं मिर्च में पर्ण कुंचन रोग व सफेद मक्खी कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. एक मि.ली. प्रति 3 लीटर पानी या डायमिथेएट 30 ईसी एक मि.ली. प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। साथ ही पर्ण कुंचन रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा कर नष्ट करें।