सरकार ने किसानों को दिवाली गिफ्ट न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि MSP में वृद्धि करके दिया है। केंद्र सरकार ने बुधवार 16 अक्टूबर 2024 के दिन विपणन सत्र 2025-26 के लिए सभी मुख्य रबी फसलों के समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा कर दी है। सरकार ने इस वर्ष सबसे अधिक वृद्धि रेपसीड/सरसों और मसूर के लिए की है ताकि किसानों को दलहन और तिलहन फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति 2025-26 के लिए सभी अधिदेशित रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। सरकार ने विपणन सत्र 2025-26 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 2025 के लिए क्या है?
- गेहूं समर्थन मूल्य MSP 2025: विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 150 रुपये बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। जबकि पिछले वर्ष गेहूं का MSP 2275 रुपये प्रति क्विंटल था।
- जौ समर्थन मूल्य MSP 2025: विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 130 रुपये बढ़ाकर 1980 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। जबकि पिछले वर्ष जौ का MSP 1850 रुपये प्रति क्विंटल था।
- चना समर्थन मूल्य MSP 2025: विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 210 रुपये बढ़ाकर 5650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। जबकि पिछले वर्ष चना का MSP 5440 रुपये प्रति क्विंटल था।
- मसूर समर्थन मूल्य MSP 2025: विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 275 रुपये बढ़ाकर 6700 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। जबकि पिछले वर्ष मसूर का MSP 6425 रुपये प्रति क्विंटल था।
- रेपसीड और सरसों समर्थन मूल्य MSP 2025: विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने रेपसीड और सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 300 रुपये बढ़ाकर 5950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। जबकि पिछले वर्ष रेपसीड और सरसों का MSP 5650 रुपये प्रति क्विंटल था।
- कुसुम समर्थन मूल्य MSP 2025: विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने कुसुम का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 140 रुपये बढ़ाकर 5940 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। जबकि पिछले वर्ष कुसुम का MSP 5800 रुपये प्रति क्विंटल था।
फसलों की लागत किस आधार पर तय की गई है?
सरकार ने फसलों की लागत में मानव श्रम, बैल श्रम/ मशीन श्रम, पट्टे पर ली गई भूमि के लिये भुगतान किया गया किराया, बीज उर्वरक, खाद आदि इनपुट के उपयोग पर किए गए खर्च, सिंचाई शुल्क, औज़ारों और कृषि भवनों पर मूल्यहास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पम्प सेट आदि के संचालन के लिए डीजल/ बिजली, विविध खर्च और पारिवारिक श्रम का मूल्य शामिल किया गया है।
सरकार के मुताबिक विपणन सत्र 2025-26 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि, अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर MSP तय करने की केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है। अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर अपेक्षित अंतर (मार्जिन) गेहूं के लिए 105 प्रतिशत है, इसके बाद यह रेपसीड और सरसों के लिए 98 प्रतिशत; मसूर के लिए 89 प्रतिशत; चना के लिए 60 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है। रबी फसलों के एमएसपी में की गई इस वृद्धि से किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।