ग्रीष्म कालीन (जायद) फसलों की बुवाई
कोरोना महामारी अभी अपने चरम पर है, कई जगहों पर लॉकडाउन जैसी स्थिति बनी हुई है | इसके बाबजूद भी सभी राज्यों में रबी फसलों का उपार्जन का कार्य चल रहा है | रबी फसल के बाद 3 माह के लिए किसान का खेत या तो खली रहता है या फिर उसमें ग्रीष्मकालीन (जायद) फसलों की बुवाई की जाती है | कविड-19 काल में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई का कार्य एक चुनौती पूर्ण कार्य था इसके बाद भी किसान की मेहनत ने अभी तक के ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई में रिकार्ड कायम किया है | पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 13.9 लाख हेक्टेयर भूमि में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई की गई है |
ग्रीष्मकालीन फसलों में मुख्यत: दलहनी, तेलहनी, पोषक अनाज तथा मोटे अनाज शामिल है | फसलों की बुआई में वृद्धि सभी राज्यों के किसानों के उत्साह के साथ मेहनत का ही नतीजा है की कोरोना काल में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई में वृद्धि हो पाई है | 23 अप्रैल 2021 तक देश में ग्रीष्मकालीन बुआई पिछले साल इस अवधि में हुई इस तरह की बुआई की तुलना में 2.15 प्रतिशत अधिक है | इसी अवधि के दौरान एक साल पहले 60.67 लाख हेक्टेयर से कुल ग्रीष्मकालीन फसल क्षेत्र बढ़कर 73.76 लाख हेक्टेयर हो गया |
दलहन फसलों की जायद में कुल बुआई
दलों के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है | 23 अप्रैल 2021 तक दलहन के तहत बोया जाने वाला क्षेत्र 6.45 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 12.75 लाख हेक्टेयर हो गया, जो लगभग शत – प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है | बढ़ा हुआ क्षेत्र मुख्य रूप से तमिलनाडू, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों से होने की जानकारी है |
तिलहन फसलों की जायद में कुल बुआई
तिलहन फसलों का क्षेत्र 9.03 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10.45 लाख हेक्टेयर हो गया जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है | पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडू, आदि राज्यों में रबी चावल का फसल क्षेत्र बढ़ा है |
धान फसल की जायद में कुल बुआई
धान की रोपाई का क्षेत्र 33.82 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 39.10 लाख हेक्टेयर हो गया है जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है | पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, असम, आंध्र प्रदेश, ओड़िसा छत्तीसगढ़, तमिलनाडू, बिहार आदि राज्यों में रबी चावल का फसल क्षेत्र बढ़ा है |
अभी और बढेगा बुआई का रकबा
ग्रीष्म ऋतू में फसलों की बुवाई मई के प्रथम सप्ताह तक चलती है इसलिए बुआई में अभी भी लगभग 15 दिन है | इसको देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई का रकबा अभी और बढ़ सकता है |
ग्रीष्म कालीन खेती से किसानों को न केवल अतिरिक्त आर्थिक लाभ होता है बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है | इसका कारण यह है कि ग्रीष्मकालीन खेती में दलहन की बुवाई ज्यादा होती है, दलहन के जड़ों में राजोबियम पाया जाता है जिसके कारण मिट्टी में नाईट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होती है साथ ही पशुओं को हरा चारा भी प्राप्त होता है |