देश में जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएँ चलाई जा रहीं है। साथ ही किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश के भोपाल में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की ओर से “जैविक कृषि उत्पादन तथा मूल्य संवर्धन” विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री में कार्यशाला में कहा कि कृषि रसायनों के असीमित प्रयोगों के कारण पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव से संरक्षण के लिये जैविक एवं प्राकृतिक कृषि तकनीकों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। प्रदेश में वर्तमान वर्ष में भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्राकृतिक कृषि विकास योजना के अंतर्गत लगभग 1 लाख एकड़ क्षेत्रफल में जैविक खेती करने का लक्ष्य तय कर कार्य किया जा रहा है। आगामी वर्षों में जैविक-प्राकृतिक खेती को बढ़ाकर पाँच लाख हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाएगा।
जैविक खेती करने वाले किसानों को उपलब्ध कराए जाएँगे सोलर पम्प
कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने कहा कि जैविक उत्पादों के बेहतर मूल्य किसानों को दिलाने के लिये प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर जैविक हाट-बाजार लगाए जाएँगे। देश में प्राकृतिक कृषि उत्पाद के लिए आदर्श जिले और विकासखंड विकसित किए जाएंगे। जैविक और प्राकृतिक खेती पर आधारित मेले लगाने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती करने वाले किसानों को सोलर पम्प उपलब्ध कराए जाएंगे।
कृषि आधारित उद्योगों की जाएगी स्थापना
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह वर्ष उद्योग वर्ष घोषित किया गया है। कृषि प्रधान राज्य होने से यहाँ खेती को साथ लेकर उद्योग नीतियां लागू करना आवश्यक है। इसीलिये राज्य सरकार कृषि आधारित उद्योगों को विकसित करने पर विशेष ध्यान दे रही है। जिन जिलों में औद्योगिक दर कम हैं, वहां कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की देश के दुग्ध उत्पादन में 9 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जिसे 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादकों को सब्जी उत्पाद निर्यात करने पर केन्द्र सरकार एवं प्रदेश सरकार के सहयोग से ट्रांसपोर्ट व्यय दिया जा रहा है। किसानों को इसका लाभ दिलाने के लिए कृषक उत्पादक संगठनों तथा स्वयं सेवी संगठनों की सहायता से चलाए जा रहे अभियान को गति दी जाये।
जिलों के आधार पर बनाई जाएगी जैविक नीति
कार्यक्रम में राज्य के कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि आयोजित कार्यशाला के आधार पर प्रदेश के विभिन्न जिलों की कृषि जलवायु क्षेत्र के आधार पर जैविक उत्पादन नीति बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि जैविक खेती प्रोत्साहन के लिए प्रदेश में 9 सेवा प्रदाताओं से एमओयू किये गए हैं। एपीडा के अनुसार प्रदेश में जैविक खेती का रकबा 11.48 लाख हेक्टेयर है। वन क्षेत्र मिलाकर प्रदेश में कुल 20 लाख 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती की जा रही है, जो देश में सर्वाधिक है। प्रदेश में पराली जलाने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। किसानों को खेत में ही अवशेष प्रबंधन के लिए 42 हजार 500 से अधिक कृषि यंत्र भी वितरित किये गए हैं। इससे पराली जलाने की प्रवृत्ति में कमी आई है।