खेतों की मिट्टी की जाँच के लिए सरकार 10 जिलों के एक-एक प्रखंड में अनुमंडल स्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना कराएगी। इसके लिए कृषि विभाग ने प्रति प्रयोगशाला 75-75 लाख रुपये का प्रावधान किया है। इन जिलों में पूर्णिया, सिवान, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चम्पारण, सहारसा, दरभंगा, बक्सर, नालंदा, बेगूसराय एवं औरंगाबाद जिले का चयन किया गया है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में ही इन जिलों के एक-एक अनुमंडल के प्रखंड मुख्यालय के ई-किसान भवन में स्थापित करने का निर्देश दिया है।
प्रत्येक मिट्टी जाँच प्रयोगशाला की स्थापना पर 75 लाख रुपये खर्च होंगे। नये मिट्टी जाँच प्रयोगशाला की स्थापना के बाद राज्य में मिट्टी जाँच प्रयोगशाला की संख्या बढ़कर 63 हो जाएगी। नए मिट्टी जांच प्रयोगशाला की स्थापना के लिए 8 करोड़ 31 लाख 62 हजार रुपये की राशि का प्रावधान किया है। इसके साथ ही राज्य स्तर पर कार्यरत जैव उर्वरक एवं जैविक उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशाला की सुदृढ़ करने के लिए 45 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।
किसानों को मिलेगा लाभ
मिट्टी जांच प्रयोगशाला की स्थापना होने से किसानों के खेतों की मिट्टी जांच में सुविधा बढ़ेगी। मिट्टी जांच से पता चल जाता है कि खेत की मिट्टी में किस तरह के पोषक तत्व की कमी है। मिट्टी जांच के आधार पर किसान खेत में खाद का प्रयोग करते हैं तो खेत की उर्वरता बनी रहती है। जिससे किसानों को फसल उत्पादन बेहतर मिलता है।
अभी बिहार में 38 जिला मुख्यालयों में मिट्टी जांच प्रयोगशाला है। अनुमंडल स्तर पर गया, बोधगया, मुंगेर के तारापुर और भागलपुर के नवगछिया में मिट्टी जाँच प्रयोगशाला पिछले वर्ष स्थापित की गई है। प्रमंडल स्तर पर 9 चलंत मिट्टी जाँच की प्रयोगशालाएँ हैं। तीन रेफरल मिट्टी जांच प्रयोगशाला हैं। इसमें एक पटना, एक बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर और डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में हैं। रेफरल मिट्टी जांच प्रयोगशाला में जिलों में होने वाली मिट्टी जांच की गुणवत्ता को जांचा जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में 5 लाख किसानों के खेतों की मिट्टी जांच का लक्ष्य सरकार ने रखा है।