Home किसान समाचार पॉली हाऊस में सफलतापूर्वक की जा रही है मृदा रहित खेती

पॉली हाऊस में सफलतापूर्वक की जा रही है मृदा रहित खेती

पॉली हाऊस में सफलतापूर्वक की जा रही है मृदा रहित खेती

उदयपुर जिले में तहसील-वल्लभनगर के ग्राम-महाराज की खेड़ी के कृषक नंदलाल डांगी द्वारा पॉली हाऊस में सफलतापूर्वक कोको पीट (नारियल के बुरादे) का उपयोग करते हुए मृदा रहित खेती की जा रही है।

नंदलाल ने अपनी धर्म पत्नी श्रीमती माया डांगी एवं छोटे भाई शिवदयाल डांगी के नाम से राजकीय सहायता प्राप्त कर 8000 वर्गमीटर (2 एकड़) भूमि पर संरक्षित खेती हेतु तीन पॉली हाऊस की स्थापना वर्ष 2013 में करवाई और स्थानीय कृषि एवं उद्यान विभाग के मार्गदर्शन में इन पॉली हाऊस में खीरा, टमाटर व शिमला मिर्च की खेती आरम्भ की। लेकिन कुछ समय बाद ही जब टमाटर व खीरा की नई फसल भूमि सूत्र कृमि (निमेटोड़) से बुरी तरह ग्रसित हुई तो उन्हें ज्ञात हुआ कि कोकोपीट (नारियल के बुरादे) में खेती करने से सूत्र कृमि की समस्या नहीं आती।

श्री डांगी ने गुजरात के एक कन्सलटेन्ट की सेवाऎं ली वहां से करीब 10 लाख रूपऎ की कोकोपीट क्रय की। इस कोकोपीट को 5-5 किलोग्राम की प्लास्टिक की थैलियों में भरकर कुल 13,000 थैलियों में बीजा रोपण कर उन्होंने एक एकड़ पॉली हाऊस क्षैत्र में खीरे की खेती आरम्भ की। इन पौधों का पोषण पूर्ण रूप से फर्टिगेशन विधि द्वारा बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली से किया गया और विभिन्न प्रकार के सॉल्ट की व्यवस्था की गई ताकि पौधों को समस्त 16 तत्वों से पोषित किया जा सके। प्रत्येक कोकोपीट भरी थैली में बीजों का अच्छा अंकुरण पश्चात् पौधों ने अच्छी बढ़वार की और जब बुवाई के करीब 45 दिवस पश्चात् फूल आने लगे व खीरे लगने लगे। यह फसल पूर्ण रूप से तंदुरस्त व सूत्र कृमि प्रकोप रहित थी

श्री डांगी को 4000 वर्गमीटर पॉली हाऊस से करीब 450 क्विंटल खीरा उत्पादन हुआ, जिसे औसतन 15 रूपऎ प्रति किलोग्राम के भाव से बाजार में विक्रय किया गया तो प्रति माह एक लाख रूपऎ से अधिक शुद्ध मुनाफा प्राप्त हुआ। प्रतिमाह श्रमिक, आदान, बिजली, सिंचाई आदि पर रूपऎ 50 हजार का व्यय प्रति 4000 वर्गमीटर आंका गया।

इस प्रकार नंदलाल डांगी ने दृढ़ इच्छा शक्ति से असंभव को संभव करते हुऎ आपार सफलता प्राप्त कर संरक्षित खेती में नऎ आयाम स्थापित कर दिऎ हैं।

उल्लेखनिय है कि 7 से 9 नवंबर को आयोजित होने वाले 3 दिवसीय ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) के दौरान उदयपुर में ‘कोको पीट‘ खेती और पॉली हाउस की तकनीकें भी प्रदर्शित की जाएंगी।

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