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शुक्रवार, मार्च 29, 2024
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किसी भी समय या मौसम में कैसे करें मशरूम की खेती

ऋतुओं (मौसम) पर आधारित मशरूम की वर्ष भर खेती

भारत में खेती करने का एक क्रम विकसित है | जो हमारे पूर्वजों से मिला है | हमारें यहाँ खेती एक के बाद एक की जाती है | जैसे पहले खरीफ फसल उसके बाद रबी फसल साथ ही जायद फसल दोनों ही मौसम में किया जाता है | आज भी यह परम्परा कायम है इस परम्परा के अनुसार फसलों को निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर उगाते हैं |

  1. अधिक पानी चाहने वाली फसल के बाद कम पानी चाहने वाली फसल जैसे धान के बाद गेंहू |
  2. अधिक उर्वरक चाहने वाली फसल के बाद कम उर्वरक चाहने वाली फसल जैसे – धान के बाद चना |
  3. मुसला जड़ फसल के बाद झकड़ा जड़ वाली फसलें जैसे – गेंहू – धान – गन्ना |
  4. फसलों को क्रम में उगाने का मुख्य उद्देश्य भूमि की उर्वरता, नमी एवं मृदा संरचना को बनाये रखना होता है | साथ ही बीमारियों व कीड़ों – मकोड़ों से बचाव करना तथा प्राकृतिक संसाधनों से अधिक से अधिक लाभ उठाना होता है |

जलवायु अनुसार उपलब्ध मशरूम प्रजातियाँ

फसलों को क्रम में उगाने की परम्परा को मशरूम की खेती में भी लागु किया जा सकता है | लेकिन मशरूम एक गैर परम्परागत फसल होने की वजह से इसे क्रम में उगाना अभी तक ही ऋतू में उगाते आ रहे हैं तथा अन्य ऋतुओं में मशरूम उत्पादन व्यवसाय बंद कर देते हैं | जबकि हमारे देश की जलवायु भिन्न – भिन्न प्रकार के मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त है |

यदि हम देश की जलवायु पर नजर डालें तो पायेंगे की यहाँ गर्म, आर्द्र, शीतोष्ण, आदि प्रकार की जलवायु विभिन्न प्रान्तों में उपलब्ध है | इस प्रकार जलवायु के आधार पर ऋतुओं का भी जैसे शीत ऋतू, वर्षा ऋतू, बसंत ऋतू आदि का वर्गीकरण किया गया है | अत: हमारे देश में भिन्न – भिन्न प्रकार की मशरूम को क्रम में उगाना सम्भव है क्योंकि भिन्न – भिन्न प्रकार की मशरूम की वृद्धि हेतु तापमान आवश्यकता अलग – अलग है | विभिन्न प्रकार की मशरूम की प्रजातियों को उगाने हेतु तापमान आवश्यकता निम्नलिखित है |

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कुछ प्रमुख खाध मशरूम के लिय अनुकूल तापमान

क्र.सं.
मशरूम के वैज्ञानिक नाम
प्रचलित नाम
अनुकूलतम तापमान (डी.से.)
बीज फैलाव हेतु
फलन हेतु

1.

एगोरिक्स बाइसपोरस

श्वेत बटन मशरूम

22 – 25

14 – 18

2.

एगोरिक्स बाइटारकिस

ग्रीष्म कालीन श्वेता बटन मशरूम

28 – 30

25

3.

आरिकुलोरीया प्रजाति

ब्लैक इयर मशरूम

20 – 34

12 – 30

4.

लेन्टीनुला इडोड्स

शिटाके मशरूम

22 – 27

15 – 20

5.

प्लूरोटस इरिन्जाई

काबुल ढिंगरी

18 – 22

14 – 18

6.

प्लूरोटस फ्लेविलेट्स

ढिंगरी मशरूम

25 – 30

22 – 26

7.

प्लूरोटस फ्लोरिडा

ढिंगरी मशरूम

25 – 30

18 – 22

8.

प्लूरोटस सजोर – काजू

ढिंगरी मशरूम

25 – 32

22 – 26

9.

वाल्वेरियेला वाल्वेसिया

पराली मशरूम

32 – 34

28 – 32

10.

कैलोसाईबी इंडिका

दुधिया मशरूम

25 – 30

30 – 35

वार्षिक मशरूम फसल चक्र

उपर्युक्त सारणी में दिए गए विभिन्न प्रकार के मशरूम प्रजातियों की वानस्पतिक वृद्धि (बीज फैलाव) व फलनकाय (फसल) अवस्था के लिये अनुकूल तापमानों को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि मशरूम को कृषि फसलों की भांति फेरबदल कर चक्रों में उगाया जा सकता है | जैसे मैदानी भागों व कम ऊँचाई पर स्थित पहाड़ी भागों में शरद ऋतू में श्वेत बटन मशरूम, ग्रीष्म ऋतू में ग्रीष्म कालीन श्वेत बटन मशरूम, ग्रीष्म ऋतू में ग्रीष्म कालीन श्वेत बटन मशरूम व ढींगरी तथा वर्ष ऋतू में पराली मशरूम व दुधिया मशरूम |

उत्तर भारत में विभिन्न प्रकार की मशरूम को उगाने का क्रम

मैदानी भागों में श्वेत बटन मशरूम को शरद ऋतू में नवम्बर से फ़रवरी तक, ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन मशरूम को सितम्बर से नवम्बर व फ़रवरी से अप्रैल तक, काले कनचपडे मशरूम को सितम्बर से मई तक, पराली मशरूम को जुलाई से सितम्बर तक तथा दुधिया मशरूम को फ़रवरी से अप्रैल व जुलाई से सितम्बर तक उगाया जा सकता है |

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मध्य ऊँचाई पर स्थित पहाड़ी स्थानों में श्वेत बटन मशरूम को सितम्बर से मार्च तक, ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन मशरूम को जुलाई से अगस्त तक व मार्च से मई तक, शिटाके मशरूम को अक्टूबर से फ़रवरी तक, ढिंगरी मशरूम को पुरे वर्ष भर, काले कनचपडे मशरूम को मार्च से मई तक तथा दुधिया मशरूम को अप्रैल से जून तक उगाया जा सकता है |

अधिक ऊँचाई पर स्थित पहाड़ी क्षेत्रों में श्वेत बटन मशरूम को मार्च से नवम्बर तक, ढिंगरी मशरूम को मई से अगस्त तक तथा शिटाके मशरूम को दिसम्बर से अप्रैल तक उगाया जा सकता है

इस प्रकार हमारे देश में अलग – अलग तरह की जलवायु वाले स्थानों में ऋतू – अनुसार भिन्न – भिन्न प्रकार के मशरूम फसल चक्र अपनाकर साल भर मशरूम की खेती करना संभव हैं | समुद्रतटीय राज्यों में वर्ष भर ढिंगरी मशरूम, पराली मशरूम व दुधिया मशरूम को प्राकृतिक वातावरण में उगाया जा सकता है | पूर्वोतर राज्यों में श्वेत बटन मशरूम, ढिंगरी मशरूम, शिटाके मशरूम व काले कनचपडे मशरूम को उगाया जा सकता है | मध्य व पशिचमी भारत में ढिंगरी मशरूम को ग्रीष्म ऋतू को छोड़कर अन्य सभी ऋतुओं में व दुधिया मशरूम की खेती वर्ष भर की जा सकती है |

                    मशरूम उत्पादन की इन मौसमी वार्षिक योजनाओं पर अमल कर किसान वर्ष भर रोजगार प्राप्त कर मशरूम से खेती करते रहने से बीमारियों व कीड़े – मकोड़े का प्रकोप भी बढ़ जाता है | मशरूम फसल चक्र को अपनाकर इनका प्रकोप कम किया जा सकता है | साथ ही देश के कुल मशरूम उत्पादन में बढ़ोतरी करने में सहयोग दे सकते हैं |

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