बिहार कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने शुक्रवार 10 जनवरी के दिन कृषि भवन, पटना के सभागार में कृषि विज्ञान केंद्र एवं आत्मा योजना के बीच समन्वय करने हेतु बिहार के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकगण एवं सभी जिलों के आत्मा निदेशकों की बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर कृषि सचिव ने आत्मा भागलपुर के द्वारा किसानों की सफलता की कहानी आधारित स्मारिका का विमोचन किया।
बंजर जमीन को बनाए उपजाऊ
कृषि के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए सचिव ने कृषि अधिकारियों और वैज्ञानिकों को निर्देश दिया कि वे बंजर और परती जमीन को उपजाऊ और उत्पादक बनाने की दिशा में तत्परता से कार्य करें। उन्होंने कहा की कृषि वैज्ञानिक बंजर जमीन को भी उर्वर बना सकते हैं। हमें अपने प्रयासों से कृषि क्षेत्र में नई क्रांति लानी है और किसानों की आय को बढ़ानी है। उन्होंने विशेष रूप से बांका जिला के परती ज़मीन को जल्द से जल्द फसल उत्पादन सुनिश्चित करने पर जोर दिया। सचिव ने निर्देश दिया कि कृषि अधिकारी नियमित रूप से क्षेत्र में भ्रमण करें, किसानों से संवाद स्थापित करें और उनकी समस्याओं का समाधान करें।
सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गरमा फसल के लिए परती ज़मीन में फसल बुआई का क्षेत्र विस्तार किया जाए। उन्होंने कहा कि रबी फसलों एवं खरीफ फसलों के बीच खाली पड़े खेतों में अन्य फसलों की खेती कर किसान की आमदनी बढ़ायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में विविधता लाने के लिए हमें उद्यानिकी फसलों की ओर शिफ्ट करना होगा। उन्होंने कहा कि सब्जियों, फलों और फूलों की खेती से किसानों को अधिक लाभ मिल सकता है। इसके लिए किसानों को तकनीकी ज्ञान और बाजार उपलब्ध कराने की रणनीति बनाई जानी चाहिए।
कृषि विज्ञान केंद्रों में आधारभूत संरचना का विकास किया जाए
कृषि सचिव ने दोनों कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार को निर्देश दिया कि सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में किसानों के हित में आवश्यक आधारभूत संरचना जैसे सिंचाई की व्यवस्था के लिए बोरिंग, विद्युत की व्यवस्था, जिन कृषि विज्ञान केंद्रों में जल-जमाव की समस्या है उसका निराकरण, कुछ कृषि विज्ञान केंद्रों के समस्याग्रस्त प्रक्षेत्रों में जहाँ खेती की जा सकती है वहाँ खेती नहीं की जा रही है। वहां मृदा उपचार की आवश्यकता है इन सभी बिंदुओं पर एक प्रतिवेदन उपलब्ध करायें ताकि सरकार के स्तर पर इसका निराकरण किया जा सके।
सचिव ने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुछ चयनित बीज गुणन प्रक्षेत्रों को कृषि विज्ञान केंद्र की तर्ज पर प्रत्यक्ष मॉडल के लिए मिनी कृषि विज्ञान केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा ताकि कृषि विज्ञान केंद्र से दूर प्रखंडों के किसानों के लिए उनके नजदीक में ही कृषि में नई तकनीकों को सुलभ कराया जा सके। अंत में उन्होंने सभी प्रभारियों को किसानों की सफलता की कहानी तैयार करने का निर्देश दिया ताकि दूसरे किसानों को प्रेरणा मिल सके।