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राजस्थान के इन 8 जिलों में लागू की जाएगी प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना

प्रधानमंत्री धन धान्य योजना को देश के 100 जिलों में लागू किया गया है। जिसमें राजस्थान के 8 जिलों को शामिल किया गया है। इस योजना का उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही फसल विविधीकरण, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, भंडारण क्षमता में वृद्धि और किसानों को आसान ऋण उपलब्ध कराना है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार, 11 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित विशेष कृषि कार्यक्रम में “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” और “दलहन आत्मनिर्भरता मिशन” की शुरुआत की। उन्होंने देश को 24 हजार करोड़ रुपये के परिव्यय वाली प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना एवं 11 हजार 440 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की सौगात दी। इस अवसर पर उन्होंने कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। इस कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जुड़े तथा प्रधानमंत्री के संबोधन का श्रवण किया।

इससे पहले मुख्यमंत्री ने राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान दुर्गापुरा में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन-धान्य कृषि योजना, दलहन मिशन और अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं का शुभारंभ कर देश की कृषि व्यवस्था में एक नए युग का आरंभ किया हैं। ये योजनाएं उत्पादन बढ़ाने के साथ ही खेती को अधिक आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने का काम करेंगी।

राजस्थान के 8 जिले शामिल

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के तहत देश के ऐसे 100 कृषि जिलों को चुना गया है। कम उत्पादकता, मध्यम फसल तीव्रता एवं औसत से कम ऋण उपलब्धता इन जिलों के चयन का मुख्य आधार है। देश से 100 जिलों में से राजस्थान के आठ जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, जोधपुर, बीकानेर, पाली, जालोर और चूरू को इस योजना में शामिल किया गया हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही फसल विविधीकरण, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, भंडारण क्षमता में वृद्धि और किसानों को आसान ऋण उपलब्ध कराना है। इसके लिए कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य, सहकारिता, खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण विकास एवं जल संसाधन सहित 11 विभागों को जोड़ा गया है।

23 लाख हेक्टेयर में सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र स्थापित

मुख्यमन्त्री ने कहा कि इस योजना का पहला लक्ष्य सिंचाई का विस्तार करना है। यह योजना प्रधानमंत्री के हर खेत को पानी के सपने को साकार करने की दिशा में काम करेगी। छोटे किसानों को सूक्ष्म सिंचाई यानी ड्रिप और स्प्रिंकलर की सुविधा मिलेगी तथा परंपरागत जलाशयों का पुनर्जीवन एवं सिंचित क्षेत्र का विकास होगा। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में अब तक लगभग 23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं और आने वाले वर्षों में संपूर्ण सिंचित क्षेत्र में ड्रिप और स्प्रिंकलर संयंत्र स्थापित करना हमारा लक्ष्य है।

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किसानों को सिंचाई के लिए मिलेगा भरपूर पानी

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के खेतों में वर्षा जल का संचयन सुनिश्चित करने के लिए अब तक 35 हजार 368 फार्म पौंड बनाए जा चुके हैं, जिन पर करीब 307 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। राज्य के विभिन्न जिलों में 7 हजार 903 डिग्गियां और 98 हजार 753 पाइपलाइन इकाइयां स्थापित की गई हैं, जिन पर 400 करोड़ रुपये से अधिक का व्यय हुआ है। उन्होंने कहा कि रामजल सेतु लिंक परियोजना के तहत पार्वती, काली सिंध, इस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाओं पर तेजी से काम किया जा रहा है, जिनसे किसानों को खेती के लिए भरपूर पानी मिल सकेगा।

97 हजार से अधिक किसानों को कृषि यंत्रों पर दिया गया अनुदान

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि किसान को सही बीज, सही तकनीक और सही सलाह मिलने से ही कृषि में उत्पादकता बढ़ेगी। इस योजना के माध्यम से हर जिले में मिट्टी की जांच कर सॉयल हेल्थ कार्ड बनाकर किसानों को वैज्ञानिक सलाह दी जाएगी। प्रधानमंत्री की पहल से पंचायत और ब्लॉक स्तर पर गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, साइलो और पैकिंग यूनिट बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक 14 लाख सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किए जा चुके हैं। राज्य सरकार ने 97 हजार से अधिक किसानों को कृषि यंत्रों पर 546 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों को सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना के माध्यम से अपनी फसल को स्थानीय स्तर पर प्रसंस्कृत कर सीधे बाजार तक पहुंचाने की सुविधा मिल रही है।

किसानों को किया गया 5965 करोड़ रुपये का मुआवजा

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि अवसंरचना निधि के माध्यम से दीर्घकालिक सस्ते ऋण की सुविधा दी जा रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसान का कवच बन रही है। उन्होंने कहा कि बीते दो वर्षों में राज्य में साढ़े सात करोड़ से अधिक फसल बीमा पॉलिसी जारी की गई हैं। जिनके अंतर्गत 3 हजार 452 करोड़ रुपये का राज्यांश प्रीमियम जमा किया गया है। 1 करोड़ 76 लाख पॉलिसी धारक किसानों को 5 हजार 965 करोड़ रुपये के मुआवजे का भुगतान किया गया है। वर्ष 2025 में अब तक 2 करोड़ 16 लाख पॉलिसी जारी की जा चुकी हैं।

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किसानों को फोन पर मिलेगी योजनाओं की जानकारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में सौर ऊर्जा आधारित कृषि पंपों की संख्या सबसे अधिक है। अब तक डेढ़ लाख से अधिक सोलर पंप यूनिट स्थापित की जा चुकी हैं, जिन पर 2 हजार 672 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। उन्होंने कहा कि मोबाइल एप से किसान को अपने क्षेत्र की सभी योजनाओं की जानकारी फोन पर ही मिलेगी। प्रदेश में फसल उत्पादन के साथ ही फल उत्पादन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, पशुपालन और कृषि वानिकी को भी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन मिशन जैसी योजनाओं से कृषि उत्पादकता बढ़ेगी। साथ ही, ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

इस अवसर पर कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को पीएम धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की सौगात दी है। प्रधानमंत्री ने 33 प्रतिशत फसल खराबे पर किसान को नुकसान की भरपाई करने का महत्वपूर्ण निर्णय किया। इसके तहत प्रदेश में अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों को फसल बीमा योजना और आपदा राहत कोष से मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को डेनमार्क में कृषि नवाचार सीखने के लिए भेजा गया है। पीडीएमसी और स्प्रिंकलर योजना में प्रदेश पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का फायदा प्रदेश के मूंग उत्पादक किसानों को मिलेगा।

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