फली बेधक कीट
फली बेधक कीट की सुड़ियाँ हरे अथवा भूरे रंग की होती है | सामान्यत: पीठ पर लम्बी धतियाँ तथा किनारें दोनों तरफ पतली लम्बी धारियां पायी जाती है | नवजात सुड़ियाँ प्रारम्भ में कोमल पत्तियों को खुरच कर खाती है तथा बाद में बड़ी होने पर फलियों में छेद बनाकर अन्दर के भाग को खाती है | एक सुडी अपने जीवन काल में 30 – 40 फलियों को प्रभावित कर सकती है | तीव्र प्रकोप की दशा में फलियां खोखली हो जाती है तथा उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होता है |
प्रभावित फसल –
चना , मटर, मसूर
रोकथाम
- गर्मी में गहरी जुताई करना चाहिए | समय से बुवाई करें | खेत के चरों और गेंदे के फूल को ट्रैप क्राप के रूप में प्रयोग करना चाहिए | खेत की निगरानी करते रहना चाहिए | 5 गंधपाश (फेरोमें ट्रैप) प्रति हे. की दर से प्रयोग करना चाहिए |
- ट्राईकोकार्ड 7 – 8 कार्ड प्रति हे. की दर से प्रयोग करना चाहिए | एन.पी.वी. 250 – 300 लारवा के समतुल्य (एल ई) प्रति हे. की दर से 400 – 500 ली. पानी में घोलकर 15 दिन के अन्तराल पर सांयकाल छिड़काव करना चाहिए | बैसिलस थूरिनजिएन्सिस (बी.टी.) 1.0 कि.ग्रा. प्रति हे. की दर से 400 – 500 ली. पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 15 दिन के अन्तराल पर सांयकाल छिड़काव करना चाहिए |
- रासायनिक नियंत्रण हेतु फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत डी.पी. 20 – 25 कि.ग्रा. प्रति हे. की दर से बुरकाव करना चाहिए |
अथवा
- फेनवलरेट 20 प्रतिशत ई.सी. 1.0 ली. 500 – 600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करना चाहिए |
अथवा
- क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. 2.0 ली. 500 – 600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करना चाहिए |
अथवा
- मैलाथियान 50 प्रतिशत ई.सी. 2.0 ली. 500 – 600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करना चाहिए |