किसान ड्रोन यात्रा
कृषि क्षेत्र में आधुनिक कृषि यंत्रों की मदद से किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि को आसान बनाने के लिए नए-नए कृषि यंत्र विकसित किए जा रहे हैं । इस सूची में अब किसान ड्रोन को भी शामिल कर लिया गया है। किसान कृषि ड्रोन की मदद से बहुत ही कम समय में आसानी से खाद एवं कीटनाशक आदि का छिड़काव कर सकते हैं, जिससे समय एवं पैसों की बचत होती है। ड्रोन की उपयोगिता को देखते हुए इस तकनीक को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश के कई राज्यों में ड्रोन यात्रा शुरू की गई है। 19 फरवरी के दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन किसानों की मदद करने के उद्देश्य से एक विशेष अभियान के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारत के कई शहरों और कस्बों में खेतों में कीटनाशकों के छिड़काव के लिए 100 किसान ड्रोन को हरी झंडी दिखाई ।
2 साल में बनाए जाएँगे 1 लाख मेड इन इंडिया ड्रोन
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा कि कुछ साल पहले तक देश में जब ड्रोन का नाम लिया जाता था, तो लगता था कि ये सेना से जुड़ी हुई कोई व्यवस्था है। ये दूशमनों से मुकाबला करने के लिए उपयोग में आने वाली चीजें हैं। उसी दायरे में सोचा जाता था। लेकिन आज हम मानेसर में किसान ड्रोन सुविधाओं का उदाहरण कर रहे हैं। ये 21वी सदी की आधुनिक कृषि व्यवस्था की दिशा में एक नया अध्याय है। मुझे विश्वास है ये शुरूआत न केवल ड्रोन सेक्टर के विकास में मील का पत्थर साबित होगी बल्कि इसमें संभावनाओं का एक अनंत आकाश भी खुलेगा। मुझे भी बताया गया है, कि गरुड़ एयरोस्पेस ने अगले दो वर्षों में एक लाख मेड इन इंडिया ड्रोन बनाने का लक्ष्य रखा है। इससे अनेकों युवाओं को नए रोजगार और नए अवसर मिलेंगे।
किसान ड्रोन से देश में आएगी एक नई क्रांति
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आज स्वामित्व योजना के तहत गांव में ड्रोन के जरिये जमीन का, घरों का हिसाब किताब तैयार हो रहा है। ड्रोन के जरिये दवाओं की सप्लाई हो रही है। मुश्किल इलाकों में वैक्सीन पहुंच रही हैं। कई जगह खेतों में दवाओं का छिड़काव भी ड्रोन से शुरू हो गया है। किसान ड्रोन अब इस दिशा में एक new age revolution की शुरूआत है। उदाहरण के तौर पर आने वाले समय में हाई कैपेसीटी ड्रोन की मदद से किसान अपने खेतों से ताजी सब्जियां, फल, फूल बाजार भेज सकते हैं। मछली पालन से जुड़े लोग तालाब, नदी और समंदर से सीधे ताजी मछलियां बाजार भेज सकते हैं। कम समय मिनिमल डेमेज के साथ मछुआरों का, किसानों को सामान बाजार पहुंचेगा तो उनकी मेरे किसान भाईयों की मेरे मछुआरे भाई -बहनों की, उनकी आय भी बढ़ेगी। ऐसी अनेक संभावनाएं हमारे सामने दस्तक दे रही हैं।
किसान ड्रोन की खरीद पर दी जाने वाली सब्सिडी
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष से केंद्र सरकार ने किसान ड्रोन की ख़रीद पर सब्सिडी देने का फ़ैसला लिया है। इसके तहत कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, आईसीएआर संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा ड्रोन की खरीद पर कृषि ड्रोन की लागत का 100 प्रतिशत तक या 10 लाख रुपये, जो भी कम हो का अनुदान दिया जायेगा। इसके तहत किसानों के खेतों में बड़े स्तर पर इस तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा।
वहीं कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) किसानों के खेतों पर इसके प्रदर्शन के लिए कृषि ड्रोन की लागत का 75 फीसदी तक अनुदान पाने के लिए पात्र होंगे। मौजूदा कस्टम हायरिंग सेंटर्स द्वारा ड्रोन और उससे जुड़े सामानों की खरीद पर 40 प्रतिशत मूल लागत या 4 लाख रुपये, जो भी कम हो, वित्तीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराए जाएंगे। कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना कर रहे कृषि स्नातक ड्रोन और उससे जुड़े सामानों की मूल लागत का 50 प्रतिशत हासिल करने या ड्रोन खरीद के लिए 5 लाख रुपये तक अनुदान समर्थन लेने के पात्र होंगे।