पौधे को काटने वाले कीट से कैसे बचायें ?
बैंगन, टमाटर, भिंडी इत्यादी फसल में अक्सर यह देखा जाता है कि अच्छे दिखने वाले पौधे भी अपने आप कट कर गीर जाते है लेकिन आप ध्यान से देखें तो मालूम चलता है की पौधों के अन्दर एक कीट है जो पौधों का रस चूसने के बाद पौधों को काट देता है | यह कीट इस तरह कम करता है की एक पौधे को काटने के बाद दुसरे पौधे में चला जाता है , उसके बाद उस पौधे का भी रस चूसने के बाद काट देता है |
इस तरह के कीट समय के साथ प्रजनन भी करते जाता है जिससे इस तरह का रोग पूरी फसल में तेजी से बढ़ता है | इस तरह का रोग कभी भी लग सकता है | यह रोग छोटे पौधों से लेकर बड़े पौधों में भी लगता है | छोटे पौधे में ज्यादा लगता है | क्योंकि पौधे की पत्ती तथा शाखा मुलायम होता है | इसलिए इस रोग के बारे में जानकारी रखना जरुरी है | आज किसान समाधान इस रोग से बचाव की पूरी जानकारी लेकर आया है |
इसकी पहचान कैसे करें ?
इस रोग के कीट पहले पत्ती से को चूसने से शुरुआत करते हैं | उसके बाद तने में जाते हैं और तने को चूसकर काट देते हैं | इस रोग के लिए दो तरह की कीट होते हैं | एफिड, जैसिड वाई फ्लाई नाम का कीट इस रोग का कारक है | इस रोग के कारण नई पत्तियां गुच्छे में निकलती है तथा भद्दी हो जाती है | इससे फूल और फल निकलना बंद हो जाते हैं |
इस रोग से बचाव के क्या उपाय है ?
शुरूआती दौर में पौधे के उपरी भाग को काटकर गड्ढे में डालकर मिट्टी से भर दें |
रासायनिक उपाय :- एडाक्लोप्रिड के 4 मि.ली. दवा को 12 लीटर पानी में घोलकर के प्रारम्भिक अवस्था में छिड़काव कर दें | इससे पौधें स्वस्थ्य हो जायेंगे |
नोट: – कीटनाशक के प्रयोग के 4 दिन बाद ही फल को तोड़ें | इसलिए कीटनाशक के प्रयोग से पहले फल तोड़ लें |