देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें खेती में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कृषि वैज्ञानिक किसानों से मिलने उनके खेतों में जा रहे हैं। इस कड़ी में 30 जून के दिन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उत्तर प्रदेश के मोगा ढाबा, रामपुर में किसानों से संवाद किया। “चौपाल पर चर्चा” के दौरान विभिन्न नवाचारों, समस्याओं और भावी नीतियों को लेकर विस्तारपूर्वक बातचीत की।
किसानों से संवाद में केंद्रीय कृषि मंत्री ने धान रोपाई की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि करीब 60 हजार गांवों में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत वैज्ञानिकों ने गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद किया। अब अनुसंधान खेत और किसानों की समस्याओं व जरूरतों के आधार पर किया जाएगा। किसानों से उत्तर प्रदेश की प्रमुख फसलों चावल, गेहूं और गन्ने के संबंध में शोध के लिए किसानों से सुझाव भी मांगे ताकि उसी के अनुरूप आगे की रणनीतियों पर कार्य किया जा सके।
धान किस्म 1509 की खेती में आ रही है समस्याएं
चर्चा में किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री को बताया कि धान की 1509 किस्म में रोग की समस्याएँ आ रही हैं, जिस संबंध में केंद्रीय मंत्री ने त्वरित वैज्ञानिकों को इस समस्या को दूर करने, नई उन्नत किस्म की उपज की जानकारी देने और रोग प्रतिरोधी वैरायटी विकसित करने की दिशा में काम करने के लिए दिशा-निर्देश दिए। किसानों ने सोलर पैनल को लेकर भी संवाद किया, इस दिशा में भी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने ठोस कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई।
कृषि मंत्री ने बताया कि चावल पर निर्यात प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया है। दुनिया में कही भी जहां किसानों को चावल उत्पादन के अच्छे दाम मिले वहां वह उसे बेच सके इसकी व्यवस्था कर दी गई है। साथ ही न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को भी खत्म कर दिया गया है।
मिट्टी जाँच के लिए किया जाएगा आधुनिक तकनीकों का प्रयोग
संवाद के दौरान किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह से मृदा की स्वास्थ्य जांच के लिए गांव और निचले स्तर पर ही प्रयोगशालाओं के निर्माण का अनुरोध किया। इस संबंध में भी केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस प्रस्ताव को एक कारगर सुझाव बताते हुए कहा कि मृदा में पोषक तत्वों की जांच होनी जरूरी है। सरकार मृदा स्वास्थ्य की जांच को लेकर बहुत गंभीर है। अब ऐसी आधुनिकतम तकनीके उपलब्ध है, जिनके जरिए मृदा की जांच के बाद परिणाम के लिए बहुत लंबा इंतजार करने की आवश्यकता नही पड़ती। जांच के बाद 15 मिनट के अंदर नतीजे मिल जाते है। सरकार इन आधुनिकतम तकनीकों के प्रचार-प्रसार और इनकी किसानों तक पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए अभियान के रूप में काम करेगी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने गेहूं और मक्के की खेती से जुड़ी किसानों की समस्याओं को भी सुना और वैज्ञानिकों से उचित कदम उठाने के निर्देश दिए।
किसानों से संवाद के दौरान कीटनाशकों के संतुलित उपयोग और बागवानी में वायरस अटैक को लेकर भी चर्चा हुई। जिस पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि वैधानिक व्यवस्था के द्वारा खाद और कीटनाशकों को लेकर ठोस प्रबंध किए जा रहे हैं। अमानक खाद, बीज और कीटनाशक बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी किसान को अनावश्यक रूप से खाद या कीटनाशक खरीदने के लिए मजबूर ना किया जाए।