किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा खेती में नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में आर्गेनिक टेस्टिंग लैब तथा टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना की जाएगी। 10 जनवरी के दिन विधानभवन में इसको लेकर एक प्रस्तुतीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि टिश्यू कल्चर लैब उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र का कायाकल्प करने तथा आर्गेनिक टेस्टिंग लैब कृषि उत्पादों की जांच कर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के मानकों के अनुसार प्रदेश के कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार से अधिक लाभ कमाने का मौका देंगे, जिससे प्रदेश के किसानों के जीवन में खुशहाली आएगी।
किसानों को मिलेगा वैश्विक बाजार
कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में केला, आलू, गन्ना, बांस तथा अंजीर की खेती को किसानों के लिए अधिक लाभदायी बनाने के उद्देश्य से प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना की जानी प्रस्तावित है। इसके साथ ही प्रदेश के कृषि उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आर्गेनिक टेस्टिंग लैब भी स्थापित की जानी हैं। दोनों प्रकार की प्रयोगशालाओं की स्थापना पर सभी संबंधित विश्वविद्यालयों द्वारा मंत्री जी के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया गया।
किसानों को मिलेगा लाभ
उक्त प्रयोगशालाओं की प्रस्तावित स्थापना पर कृषि मंत्री ने कहा कि आर्गेनिक उत्पादों की टेस्टिंग के लिए अभी तक हमें अन्य प्रदेशों पर रहना पड़ता था जिससे अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरे कृषि उत्पाद पैदा करने वाले प्रदेश के किसानों को पूरा लाभ नहीं मिल पाता था। यह आर्गेनिक टेस्टिंग लैब एन.बी.एल. सहित यूरोप तथा अमेरिका के मानकों के अनुसार उत्पादों की जांच कर सकेंगे। इसके साथ ही टिश्यू कल्चर लैब अच्छी गुणवत्ता वाले केले, आलू, गन्ना, बाँस तथा अंजीर की उन प्रजातियों को विकसित करने में सहायक सिद्ध होंगी जो किसानों की मांग को पूरा कर सकेंगे।
कृषि मंत्री ने बांदा, अयोध्या तथा मेरठ कृषि विश्वविद्यालयों में प्रस्तावित ऑडीटोरियम का प्रस्तुतीकरण भी देखा। उन्होंने अपेक्षित सुधारों पर सुझाव दिए तथा अधिकारियों को निर्देशित किया कि ऑडीटोरियम के निर्माण में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालयों के उप-कुलपतियों को निर्देश दिए की वे अपनी समस्त प्रॉपर्टी का रजिस्टर बनाएं तथा अपनी कृष्य भूमि का विवरण भी दर्ज करें।
इस अवसर पर उन्होंने अधिकारियों को इस बात के लिए भी निर्देशित किया की यह वर्ष कृषि विभाग की स्थापना का 150वां वर्ष है, इसलिए इस मौके पर ऐसे कार्यक्रम का आयोजन किया जाना चाहिए जिससे विभागीय योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुँचाने में और अधिक सक्रियता आ सके।