बदलती जलवायु में अचानक बाढ़ आना या खेत में लंबे समय तक पानी भर जाना सामान्य हो गया है। जिसको देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा ऐसी किस्में विकसित की जा रही है जो बाढ़ या पानी में डूबने की स्थिति में भी खराब न हो और अच्छा उत्पादन भी दें। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के किसानों को 109 जलवायु अनुकूल किस्में समर्पित की हैं। इसमें धान की किस्म सीआर धान 810 भी शामिल है।
चावल की सीआर धान 810 किस्म का विकास आईसीएआर-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, ओडिशा द्वारा किया गया है। धान की यह किस्म उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम राज्य की जलवायु के लिए अनुकूल है। धान की यह किस्म जलमग्नता यानि की लंबे समय तक पानी में डूब जाने पर भी खराब नहीं होती है।
सीआर धान 810 की विशेषताएँ
- धान की यह किस्म वर्षा आधारित उथली निचली भूमि के लिए उपयुक्त है।
- यह किस्म 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
- धान की यह किस्म प्रारंभिक चरण में 14 दिनों तक जलमग्नता के लिए भी सहनशील है यानि की 14 दिनों तक पानी में डूबे रहने पर भी खराब नहीं होती है।
- वहीं बात की जाए कीट एवं रोगों के प्रति प्रतिरोधकता की तो यह किस्म भूरा धब्बा रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी, पत्ती मोड़क और तना छेदक (मृत हृदय) के लिए मध्यम प्रतिरोधी है।
- धान की यह किस्म की उत्पादन क्षमता 42.38 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।