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गुरूवार, अप्रैल 18, 2024
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राज्य में अब गोमूत्र से बनाई जाएगी जैविक कीटनाशक दवाएँ

गोमूत्र से जैविक कीटनाशक दवा

किसानों एवं पशुपालकों से गोबर खरीद कर उससे वर्मीकम्पोस्ट खाद, बिजली एवं हर्बल पेंट बनाने के बाद अब छत्तीसगढ़ राज्य सरकार गोमूत्र से जैविक कीटनाशक बनाने जा रही है। इससे राज्य के किसानों एवं पोशुपालकों को लाभ होने की उम्मीद है। किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि में लगने वाली लागत को कम करने के उद्देश्य से केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

छत्तीसगढ़ में अब कृषि के क्षेत्र में गोमूत्र के वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। राज्य में वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट खाद का खेती में बड़े पैमाने पर उपयोग और इसके सकारात्मक परिणामों को देखते हुए गोमूत्र को रासायनिक खादों एवं विषैले कीटनाशकों के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

गोमूत्र के वैज्ञानिक उपयोग करने के लिए दिए निर्देश

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने ऑर्गेनिक एवं रिजेनरेटिव खेती की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे छत्तीसगढ़ में कृषि के क्षेत्र में गोमूत्र के वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित उपयोग की कार्य योजना तैयार करने को कहा है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने मुख्य सचिव को कृषि वैज्ञानिकों, गोमूत्र का रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों के बदले उपयोग करने वाले कृषकों तथा कामधेनु विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से चर्चा कर गोमूत्र के वैज्ञानिक उपयोग की संभावनाओं के संबंध में कार्ययोजना तैयार कर दो सप्ताह में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।

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मुख्यमंत्री ने कहा है कि रासायनिक खादों एवं विषैले कीटनाशकों के निरंतर प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति निरंतर कम होती जा रही है। खेती में रसायनों के अत्याधिक उपयोग से जन सामान्य के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। राज्य के गौठानों में निर्मित वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट का उपयोग आरंभ करने के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं और छत्तीसगढ़ ऑर्गेनिक एवं रिजनरेटिव खेती की ओर आगे बढ़ रहा है।

किसानों को कम दरों पर उपलब्ध कराया जाता है खाद 

राज्य सरकार के द्वारा राज्य में गोठानों के माध्यम से 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर किसानों एवं पशुपालकों से ख़रीदा जाता है। इसके बाद इस गोबर से वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं जिसके बाद यह खाद किसानों को 8 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाता है, जिससे राज्य में जैविक खेती को काफ़ी बढ़ावा मिल रहा है। अब यदि छत्तीसगढ़ सरकार गोमूत्र से कीटनाशक बनाने में सफल रहती है तथा उसे बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है तो जैविक खेती में एक क्रांति की तरह काम करेगा | इससे रासायनिक कीटनाशक तथा उर्वरक पर से किसानों की उपयोगिता घटेगी | इसके साथ ही साथ किसानों को खेती की लागत कम करने में आसानी होगी|

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