देश में किसानों तक जरूरी सूचनाएं सहित खेती-किसानी की नई तकनीकों की जानकारी पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में बिहार सरकार ने कृषि रेडियो की शुरुआत की है। गुरुवार 9 जनवरी के दिन कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कृषि भवन, मीठापुर में बिहार कृषि रेडियो का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल द्वारा की गई।
कृषि मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि कृषि भवन मीठापुर में बिहार कृषि रेडियो की स्थापना की गई है। इस पहल से किसानों को खेती-बाड़ी की समसामयिक सूचना, मौसम की जानकारी और किसानों के साथ संवाद करने के लिए बिहार कृषि रेडियो की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि बिहार कृषि रेडियो आधुनिक तकनीक और अत्याधुनिक प्रसारण उपकरणों से सुसज्जित है। यहाँ ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग और संपादन की उन्नत सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो राज्य के किसानों को सूचना और ज्ञान के क्षेत्र में सशक्त बनाने के लिए तैयार की गई है।
कृषि रेडियो क्या है?
कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि किसानों तक त्वरित सूचना पहुंचाने के लिए बिहार कृषि रेडियो की शुरुआत की गई है। यह एक डिजिटल रेडियो सेवा है, जिसे प्ले स्टोर और एप स्टोर से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। यह एप्लीकेशन बिहार के किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जो कृषि संबंधी सलाह और सरकारी योजनाओं की जानकारी को त्वरित और प्रभावशाली तरीके से उपलब्ध कराएगा।
बिहार कृषि रेडियो एप पर लाइव स्ट्रीमिंग के साथ-साथ ऑडियो और वीडियो कंटेंट पॉडकास्ट के रूप भी उपलब्ध रहेगा। किसान इन सामग्रियों को किसी भी समय कहीं से भी देख और सुन सकेंगे। यह सेवा ना केवल स्मार्ट फ़ोन पर, बल्की विभाग की आधिकारिक वेबसाइटों और लोकप्रिय प्लेटफॉर्म “रेडियो गार्डन” पर भी सुनी जा सकेगी।
रेडियो बीते कई दशकों से किसानों और ग्रामीण समुदायों के लिए सबसे विश्वसनीय और प्रभावी माध्यम बना हुआ है। खेतों में काम करते हुए रेडियो पर कार्यक्रम सुनने का अनुभव आज भी बेहद उपयोगी और सहज है। डिजिटल युग में भी रेडियो ने ख़ुद को नए स्वरूपों-डिजिटल रेडियो और पॉडकास्ट सेवाओं में ढलते हुए लोकप्रियता बनाये रखी है।
किसानों से लिया जाएगा फीडबैक
कृषि विभाग के सचिव ने बताया कि बिहार कृषि रेडियो बहुत ही कम डेटा खपत के साथ लगभग सभी स्मार्टफ़ोन पर सुचारू रूप से कम करेगा। यह सिर्फ एकतरफा संचार मध्यम न होकर किसानों के फीडबैक को भी रिकॉर्ड कर प्रसारण केंद्र तक पहुंचाएगा। इससे कार्यक्रमों को श्रोताओं की ज़रूरतों और सुझावों के अनुसार और अधिक उपयोगी बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप के माध्यम से भी किसानों को डाउनलोड लिंक भेजा जाएगा। आने वाले दिनों में रोस्टर के अनुसार आत्मा और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से जिलावर किसानों के साथ संवाद करने की व्यवस्था की जाएगी।