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मंगलवार, सितम्बर 17, 2024
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गन्ने की बजाय अब मक्के से बनेगा इथेनॉल, किसानों को होगा फायदा

उत्तर प्रदेश में अब सरकार गन्ने की बजाय मक्के से इथेनॉल बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कृषि विभाग और चीनी मिल संचालकों के बीच दो दौर की बातचीत भी हो गई है। अब हर चीनी मिल क्षेत्र में मक्के का रक़बा भी चिन्हित किया जाएगा। इसे चार साल में दो लाख हेक्टेयर बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। मक्का विकास से जुड़े उपकरणों पर किसानों को अनुदान भी दिया जाएगा। बता दें कि अभी प्रदेश में करीब 15 कंपनियाँ इथेनॉल तैयार कर रहीं हैं। इनकी संख्या भी जल्द बढ़ाई जाएगी।

बता दें कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल के मिश्रण का लक्ष्य रखा है। इथेनॉल उत्पादन में गन्ना, धान और मक्के का उपयोग होता है। गन्ना और धान में ज्यादा पानी लगता है ऐसे में मक्के को इथेनॉल के लिए ज्यादा उपयुक्त माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में यह खरीफ, जायद और रबी सीजन में उगाया जाता है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मक्का उत्पादन के लिए त्वरित मक्का विकास योजना शुरू की है। इसके लिए 2024-25 में 27.68 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया है।

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15 राज्यों में शुरू की गई योजना

अभी प्रदेश में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की बुवाई होती है और उत्पादन 21.16 लाख मीट्रिक टन है। रकबा दो लाख हेक्टेयर बढ़ाने और उत्पादन करीब 11 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त करने की तैयारी है। दरअसल, केंद्र सरकार ने एथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि नामक परियोजना शुरू की है। इसे भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) संचालित कर रहा है। इसके तहत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित 15 राज्य चुने गए हैं।

किसानों को मिलेगा मक्के का अच्छा मूल्य

अभी उत्तर प्रदेश में करीब 15 कंपनियां एथनॉल बनाती है। इनकी संख्या भी बढाने की तैयारी है। इथेनॉल बनाने वाली कंपनियों को सहकारी एजेंसियों से तय दर पर मक्के की आपूर्ति मिलेगी। इससे जहां इथेनॉल का उत्पादन बढ़ेगा, दूसरी तरफ किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य भी मिल सकेगा। चीनी उत्पादन में कमी नहीं आएगी क्योंकि गन्ने से ही अभी तक इथेनॉल और चीनी दोनों बनाई जा रही है।

अनुदान पर दिये जाएँगे कृषि यंत्र

संयुक्त निदेशक आरके सिंह ने बताया कि यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसमें किसानों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा। मक्के में नमी करीब 28 से 30 फीसदी होती है। ऐसे में कटाई के बाद इसमें फंगस लगने का डर रहता है। किसानों को इस समस्या से बचाने के लिए 15 लाख के ड्रायर पर 12 लाख का अनुदान दिया जाएगा। कोई भी किसान उत्पादन संगठन सिर्फ तीन लाख लगाकर इसे खरीद सकेगा। इसी तरह पॉपकार्न की मशीन पर 10 हजार का अनुदान है। अन्य उपकरणों पर भी किसान और किसान उत्पादन संगठनों को अनुदान की व्यवस्था की गई है। किसानों को मक्का अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। उन्हें संकर बीज दिलाया जाएगा और तकनीक से वाकिफ कराया जाएगा।

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प्रदेश में मक्के से इथेनॉल उत्पादन की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया गया है। खरीफ सीजन में अब तक करीब 90 फीसदी मक्के की बुवाई हो गई है। चीनी मिल संचालकों से भी बातचीत हो गई है। मक्के की फसल आने तक इथेनॉल के लिए खरीद शुरू कराने की तैयारी है।

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