अभी हाल ही में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग हेतु नेशनल इंस्टीट्युशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एन.आई.आर.एफ.) द्वारा जारी टॉप 40 संस्थानों में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने जगह बनाई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में संचालित उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए जारी एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में 39वां स्थान प्राप्त हुआ है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ राज्य से एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में स्थान प्राप्त करने वाला एक मात्र विश्वविद्यालय है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है कि मध्यप्रदेश एवं राजस्थान जैसे बड़े एवं विकसित राज्यों से किसी भी कृषि विश्वविद्यालय को एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में जगह नहीं मिली है।
145 कृषि विश्वविद्यालयों में मिला है 39वां स्थान
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने बताया कि देश भर के 145 कृषि विश्वविद्यालयों एवं कृषि शिक्षा संस्थानों में हमारे संस्थान को 39वां स्थान मिला है, जो गर्व की बात है। डॉ. चंदेल ने बताया कि विश्वविद्यालय को यह रैंकिंग पिछले तीन वर्षों में किये गये कार्यों एवं उपलब्धियों के आधार पर मिली है।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पिछले दो वर्षों में शैक्षणिक, अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियों के क्षेत्र में किये गए उल्लेखनीय प्रयासों तथा अधोसंरचना विकास के लिए किये जा रहे कार्यों को देखते हुए आगामी वर्ष विश्वविद्यालय की एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में और भी सुधार होगा तथा जल्द ही हम देश के टॉप 25 विश्वविद्यालयों में स्थान बनाने में सफल होंगे।
इस आधार पर दी जाती है रैंकिंग
एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग हेतु निर्धारित मापदण्ड़ों जैसे अधोसंरचना विकास (महाविद्यालय भवन, छात्रावास, लाईब्रेरी, सभागृह आदि) छात्र सुविधाएं, छात्र शिक्षक अनुपात, अनुसंधान कार्य, शोध पत्र प्रकाशन, पेटेन्ट, नवाचार, उद्यमिता विकास आदि के आधार पर दी जाती है। सभी क्षेत्रों में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय कार्य किया है जिसका लाभ आने वाले वर्षों में जारी रैंकिंग में मिलेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन का कार्य वर्तमान शैक्षणिक सत्र से प्रारंभ किया जा चुका है।
विश्वविद्यालय द्वारा किए गए कार्य
विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 2 सालों में 11 फसलों की 16 नवीन उन्नत किस्में विकसित की गई हैं। 47 नवीन प्रौद्योगिकी अधिसुचित की गई है। 30 उत्पादन प्रौद्योगिकी विकसित की गई है। 45 नवीन कृषि यंत्र विकसित किये गये हैं। विश्वविद्यालय द्वारा नवीन कृषि अनुसंधान हेतु विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय संस्थानों के साथ 11 समझौते भी किये गये हैं। विश्वविद्यालय के प्रयासों से नगरी दुबराज एवं बांसाझाल जीरा फूल चावल को जी.आई. टैग प्राप्त हो चुका है। उन्होंने बताया कि शोध पत्र, तकनीकी प्रकाशन एवं कृषक उपयोगी प्रकाशनों हेतु विश्वविद्यालय द्वारा 25 लाख रूपये का बजट स्वीकृत किया गया है जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।