कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग/ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का वास्तविक व्यय 2017-18 के दौरान बढ़कर 6800 करोड़
कृषि अनुसंधान एवं विकास नवोन्मेषण का मुख्य स्रोत है जिसकी आवश्यकता दीर्घकालिक स्थिति में कृषि उत्पादकता विकास को बनाये रखने के लिए पड़ती है। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्तुत करने के दौरान उक्त बातें कहीं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग/ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का वास्तविक व्यय 2017-18 के दौरान बढ़कर 6800 करोड़ (बजट अनुमान) तक पहुंच गया। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 2016 के दौरान देश में विभिन्न कृषि पर्या क्षेत्रों में खेती के लिए अनाज की 155 उच्च पैदावार की किस्में/ नस्लें जारी की गईं।
अनाज, दलहन, तिलहन, वाणिज्यिक और चारा फसलों के लिए नई किस्में/ संकर नस्लें विकसित की गई हैं जो कि बढ़ी हुई गुणवत्ता के साथ विभिन्न जैविक और गैर जैविक दवाबों को सहन कर सकती है।
अनाज: वर्ष 2017 के दौरान देश के विभिन्न कृषि पर्यावरणों में खेती के लिए 117 उच्च पैदावार किस्में/ संकर किस्में जारी की गई जिनमें शामिल हैं- चावल की 65 किस्में, गेंहू की 14, मक्का की 24, रागी की 5, बाजरा की 3, ज्वार, जई, कंगनी, कोदो मिलेट, लिटिल मिलेट और प्रोसो मिलेट की एक-एक किस्म।
तिलहन: विभिन्न कृषि पर्यावरण क्षेत्रों के संबंध में 28 उच्च पैदावार वाली तिलहन की किस्में जारी की गई हैं जिनमें 8 सफेद सरसों की, 7 सोयाबीन की, 4 मूंगफली और अलसी की, 3 सूरजमुखी की, 2 अरंडी की और नाइजर की।
दलहन: विभिन्न कृषि पर्यावरण क्षेत्रों के संबंध में दहलन की 32 उच्च पैदावार की किस्में जारी की गई। लोबिया की 10, दाल की 6, मूंग की 3, अरहर, चना और फील्ड पी की 2-2, उड़द, राजमा और फावाबीन की एक-एक।
वाणिज्यिक फसलें: – विभिन्न कृषि पर्यावरण क्षेत्रों के संबंध में वाणिज्यिक फसलों की 24 उच्च पैदावार की किस्में जारी की गई जिसमें शामिल हैं – कपास की 13, गन्ने की 8, जूट की 3।
चारा फसलें: विभिन्न कृषि पर्यावरण क्षेत्रों के संबंध में खेती के लिए चारे की 8 उच्च पैदावार की किस्में/संकर किस्में जारी की गई जिनमें शामिल हैं- जई की 3, बाजरा, नेपियर संकर, चारा ज्वार, ग्रेन अमारन्यस, चारा चना और मारवल ग्रास की 1-1 किस्म।