देश में विभिन्न फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा विभिन्न फसलों की नई उन्नत किस्मों का विकास किया जा रहा है, ताकि किसान कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त करके अपनी आमदनी बढ़ा सकें। इस कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा सरसों की नई किस्म “पूसा डबल जीरो सरसों 34” विकसित की गई है। सरसों की यह किस्म 30.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार देती है।
पूसा डबल जीरो सरसों 34 (Pusa Mustard 34) किस्म को साल 2023 में केंद्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा अधिसूचित किया गया है। सरसों की इस किस्म की खेती देश के जोन-2 में की जा सकती है। जिसमें राजस्थान (उत्तरी और पश्चिमी भाग), पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश के मैदानी क्षेत्र शामिल है। इन क्षेत्रों के किसान इस किस्म की खेती कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
पूसा डबल जीरो सरसों 34 (Pusa Double Zero Mustard 34) की विशेषताएँ
- सरसों की यह किस्म रबी सीजन में समय पर बुआई और सिंचित अवस्था के लिये अनुमोदित की गई है।
- पूसा डबल जीरो सरसों 34 की औसत उपज क्षमता 26.0 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
- वहीं पूसा डबल जीरो सरसों 34 किस्म से किसान अधिकतम 30.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
- यह किस्म 147 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
- पूसा सरसों 34 एक एकल शून्य किस्म है, जिसके तेल में कम इरुसिक अम्ल (0.79%) होता है।
- वहीं इस किस्म में तेल की मात्रा 36 प्रतिशत तक होती है।
- यह किस्म भूरा बीज आवरण लिए होती है। यह किस्म जल-तनाव स्थितियों के प्रति सहनशील है।
- इस किस्म में लंबा मुख्य प्ररोह (73 सेमी) और उच्च सिलिका घनत्व वाली अन्य शाखाएँ, 5.4 प्राथमिक और 14.1 द्वितीयक शाखाओं के साथ सघन और सीधे पौधे होते हैं।