बांस क्षेत्र को समग्र रूप से प्रोत्साहित करने के लिए 1290 करोड़ रुपये के पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन की घोषणा
बांस को ‘हरित सोना’ की संज्ञा देते हुए 1290 करोड़ रुपये के पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन लांच करने की घोषणा की, जो पूर्ण बांस मूल्य श्रृंखला के मार्ग की बाधाएं दूर करने और समग्र रूप से बांस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर से जुड़ी अवधारणा पर आधारित है। बांस उत्पादकों को उपभोक्ताओँ से जोड़ने, संग्रह, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण एवं विपणन के लिए सुविधाओं के सृजन, एमएसएमई, कौशल निर्माण और ब्रांड निर्माण पर फोकस होने की बदौलत यह घोषणा किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी और विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के कुशल एवं अकुशल युवाओँ के लिए रोजगार अवसर सृजित करने में अहम योगदान देगी।
बांस, हालांकि घास की परिभाषा के तहत आता है पर इसे भारतीय वन अधिनियम, 1927 कानूनी रूप से एक वृक्ष के रूप में परिभाषित किया गया है। इस संशोधन के पहले, किसी वन एवं गैर वन भूमि पर उगाए गए बांस को गिराने /पारगमन पर भारतीय वन अधिनियम, 1927 ( आईएफए, 1927) के प्रावधान लागू होते थे। किसानों द्वारा गैर वन भूमि पर बांस की खेती करने की राह में यह एक बड़ी बाधा थी।
मंत्री महोदय ने रेखांकित किया कि यह संशोधन एवं इसके परिणामस्वरूप गैर वन क्षेत्रों में उगाए गए बांसों के वर्गीकरण में बदलाव से बांस क्षेत्र में बेहद आवश्यक एवं दूरगामी सुधार आएंगे। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ, किसानों एवं व्यक्ति विशेषों के सामने आने वाली कानूनी एवं विनियामक समस्याएं समाप्त हो जाएंगी,वहीं दूसरी ओर यह 12;6 मिलियन खेती योग्य बंजर भूमि में खेती के लिए एक व्यवहार्य विकल्प भी प्रस्तुत करेगा।
ये कदम, विशेष रूप से, पूर्वोत्तर एवं मध्य भारत के किसानों एवं जनजातीय लोगों के लिए कृषि आय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ये संशोधन किसानों एवं अन्य लोगों को कृषि भूमि एवं कृषि वन मिशन के तहत अन्य निजी भूमियों पर पौधरोपण के अतिरिक्त, अवक्रमित भूमि पर अनुकूल बांस प्रजाति के पौधरोपण/ ब्लॉक बगान आरंभ करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह कदम संरक्षण एवं सतत विकास के अतिरिक्त, किसानों की आय को दोगुनी करने के लक्ष्य के अनुरूप है।